मेदिनीनगर (पलामू)
वीर बाल सप्ताह का समापन करते हुए खालसा जत्था द्वारा स्थानीय बेलवाटीका चौक पर 351 किलो ग्राम केसर युक्त गर्म दूध प्रसाद के रूप में वितरित किया गया।
इस कार्यक्रम के बारे में बताते हुए खालसा जत्था के मेहर सिंह ने बताया कि जब दादी गुर्जर कौर के साथ दोनों छोटे साहिबजादे बाबा जोरावर सिंह और बाबा फतेह सिंह सरसा नदी पार कर रहे थे तो रात्रि विश्राम के लिए अपने पुराने रसोईया मंगू के पास रुके। रात को गंगू ने देखा कि माता जी के पास सोने की मोहरे है तो उसे लालच आ गया और उसने वजीर खांन को जो फतेहगढ़ का सिपासलार था उसे गुरु साहब के बच्चों के बारे में जानकारी दे दी । इसके पश्चात औरंगजेब के हुकुम से वजीर खांन की फौज ने बच्चों को कैद कर लिया और अपने किले के सबसे ऊपर के बुर्ज में इस शरद रातों में कैद कर दिया।
र्सद रात बिछाने और ऊपर लेने के लिए कोई वस्त्र नहीं दिया गया और इस ठंड रात में उन्हें बिना कुछ भोजन दिए तीन दिन तक भूखे प्यासे रखा गया ।
इस दौरान उसे वहां का एक पहरेदार मोतीराम मेहता जिसकी पत्नी गर्भवती थी उसे छोटे-छोटे बालकों पर तरस आ गया और उसने अपनी पत्नी से यह बात बताई ।एक मां का कोमल हृदय ने प्रयास किया और मोतीराम मेहरा ने चुपके से उन्हें गर्म दूध पिलाया । दूसरे दिन भी ऐसा किया गया और अंतिम में जब तीन दिन बाद उन्हें कचहरी मे पेश किया गया और उन्होंने इस्लाम को नहीं कबूल किया तब दोनों साहीबजादो को औरंगजेब के हुकुम से जिंदा दीवारों में चुनवा दिया गया।
कहते हैं कि उसे दौरान सारा वातावरण रो उठा जब शहीदों के सरताज दो नन्हे बालक सबके सामने दीवारों में चुनवा दिया गया । वह दशमेश पिता के नौनिहाल मुख से जपजी साहिब और वाहेगुरु का जाप कर रहे थे ।जब छोटे साहबजादे फतेह सिंह के मुख्य तक दीवार आ गई तब उसके बड़े भाई की आंखों में आंसू आ गए .तो छोटे भाई ने कहा क्यों रोते ? हो तो बड़े भाई ने कहा मैं इसलिए नहीं रो रहा कि मुझे मरने का भय है ।मैं इसलिए रो रहा हूं कि तू मेरे बाद में दुनिया में आया है और पहले वीरगति को प्राप्त हो रहा है ।धर्म के नाम पर तेरी यह कुर्बानी अतुल्य है और वर्षों तक याद की जाएगी ।
आज इसी की याद में खालसा जत्था के नौजवानो द्वारा पिछले तीन दिनों से बेलवाटीका चौक पर संध्या 4 बजे से 6:00 बजे तक गर्म दूध का प्रसाद वित्तरीत किया जा रहा है।
मेहर सिंह आगे बताया कि की जालिम वजीर खान इतना क्रूर था जब उसे पता लगा की मोतीराम मेहरा ने छोटे साहबजादे को दूध पिलाया है तो उसने उसकी गर्भवती पत्नी को हाथियों के पैर के नीचे कुचलवा दिया और मोतीराम को सरेआम मरवा दिया ।यह कुरर्ता की प्रकाष्ठा है। जिसकी हाय के चलते इस्लाम साम्राज्य का पतन हो गया। आज के कार्यक्रम में लगभग 2000 से अधिक लोगों ने मीठे गर्म दूध का प्रसाद प्राप्त किया और छोटे बाल शहीदों को नमन किया।
कार्यक्रम में मुख्य रूप से राजेंद्र सिंह बंटी, बॉबी ,मन्नत, कुंवर सिंह, प्रभ कीरत सिंह लालू ,जरनैल सिंह, हरदीप सिंह ,सनटी, राजा सिंह खालसा ,प्रताप प्रताप सिंह ,रिंकू सिंह ,सनी ,सहित दर्जनों खालसा जत्था के वीरो ने उपस्थित होकर अपनी सेवाएं दी .