छठ पर्व का खरना आज, व्रतियों में खासा उत्साह

मेदिनीनगर (पलामू)

अटूट आस्था का महापर्व छठ को लेकर चारों ओर धार्मिक वातावरण छाया हुआ है। शहर से लेकर गांव व कस्बा तक छठ का गीत गुंजायमान है । छठ व्रतियों में खासा उत्साह देखा जा रहा है।बुधवार को खरना मनाया जाएगा। खरना कार्तिक मास की पंचमी को मनाया जाता है. इसे लोहंडा भी कहा जाता है. इस साल खरना आज यानी 6 नवंबर (बुधवार) को है. खरना का समय शाम 5:29 से 7:48 तक है.
इस दिन छठव्रती दिनभर उपवास के साथ व्रत रखकर खीर बनाती हैं । खीर प्रसाद का विशेष व महत्व है।
रात में खीर प्रसाद ग्रहण करते हैं. इसके बाद छठ पूजा का पारण होने के बाद ही व्रती अन्न-जल ग्रहण करते हैं

खरना के दिन व्रती तन और मन का करती हैं शुद्धिकरण
खरना का अर्थ होता है शुद्धिकरण.
खरना के बाद 36 घंटे का निर्जला व्रत आरंभ होता है. व्रती षष्ठी तिथि को अस्ताचलगामी और अगले दिन उदीयमान सूर्यदेव को अर्घ्य देते हैं. पारण के बाद व्रती का 36 घंटे का उपवास खत्म होता है.


नये चूल्हे और आम की लकड़ी में बनाया जाता है प्रसाद

खरना का प्रसाद नये मिट्टी के चूल्हे पर बनता है. लेकिन बदलते जमाने के साथ गैस चूल्हे का उपयोग भी होने लगा है. प्रसाद बनाने के लिए चूल्हे में आम की लकड़ी का प्रयोग किया जाता है. इसमें दूसरे पेड़ों की लकड़ियों का उपयोग नहीं किया जाता है.

खरना के दिन बनायी जाती है गुड़ की खीर
खरना के दिन खीर, गुड़ तथा चावल का इस्तेमाल कर शुद्ध तरीके से खीर बनायी जाती है. खरना पूजा में खीर के अलावा केला और अन्य चीजें भी रखी जाती हैं. यह अलग-अलग क्षेत्र की परंपरा के मुताबिक होता है. इसके अलावा प्रसाद में रोटी, पूरी, गुड़ की पूरियां और मिठाईयां भी भगवान को चढ़ाया जाता है.


प्रसाद ग्रहण करने के समय नहीं करना चाहिए आवाज
खरना के दिन जब व्रती शाम में पूजा और प्रसाद ग्रहण कर रहे होते हैं तो उस समय घर में पूरी शांति रखी जाती है. क्योंकि माना जाता है कि आवाज होने पर व्रती प्रसाद खाना बंद कर देते हैं. इस दिन घर के सभी सदस्य व्रती के प्रसाद ग्रहण करने के बाद उनसे प्रसाद लेते हैं.छठ महापर्व चार दिनों का त्योहार
छठ का पर्व चार दिनों का होता है. यह पर्व नहाय खाय से शुरु होता है, दूसरे दिन खरना, तीसरे दिन शाम को अर्घ्य और चौथे दिन सुबह अर्घ्य देकर पारण किया जाता है. इस तरह पारण के साथ छठ महापर्व का समापन होता है.

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