मेदिनीनगर (पलामू)
31जुलाई तारीख दुनिया के दो महान हस्ती एक का जयंती दूसरे का पुण्य तिथि है। एक ने कलम के नोक पर साहित्य के सृजन कर जन के साथ घटित घटनाओं को समाज के बीच पहुंचाया। दूसरे ने अपने फन से जनता को आंदोलित किया। भारतीय समाज खास कर हिंदीपट्टी को समझना है तो प्रेमचंद को पढ़ना पड़ेगा जिसमें गोदान गबन कफन कर्मभूमि रंगभूमि खास अहमियत रखता है, आज उनकी जयंती है। आजादी की लड़ाई में देशप्रेम के गीत हो या भक्तिमार्ग के या नव जोड़ों पर आधारित मोहब्बत के गीत सागर के लहर सा हल्फा मचा कर रख दिए मोहम्मद रफी साहब। आज इनकी पुण्यतिथि है, 44 साल पहले दुनिया को अलविदा कह गए। इनके स्वर का ब्रह्मांड मुरीद रहा, आज तक न दूसरा रफी हुआ न होगा। गुलशन संस्था के द्वारा टाउन हॉल में आयोजित रफी साहब को याद किया गया जहां विशिष्ट अतिथि शामिल हुआ। गुलशन के अध्यक्ष पुष्पगुच्छ अंग वस्त्र देकर स्वागत किए “एक शाम रफी साहब के नाम” कार्यक्रम को दीप प्रज्ज्वलित कर शुरुआत की गई। एक से बढ़ कर एक रफी साहब के गानों को पेश किया गया। आज के मुख्य अतिथि नगर आयुक्त भी अपने आवाज के जलवा बिखेरे,श्रोता दर्शकों ने वाहवाही व ताली से स्वागत किए। उन्हे याद करना ही सच्ची श्रद्धांजलि है।