सामूहिक प्रयास से बाल विवाह मुक्त पलामू संभव: उप विकास आयुक्त

बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ के तहत पलामू में बाल विवाह रोकथाम पर जोर

समाज की जागरूकता से बाल विवाह की घटनाओं में आई कमी

समय पूर्व सूचनाएं मिलने से बाल विवाह की रोकथाम में मिल रही सफलता

पलामू में अनुमंडल स्तरीय कार्यशाला का आयोजन

मेदिनीनगर (पलामू)

बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ अभियान के तहत बाल विवाह मुक्त भारत अभियान के उद्देश्य को लेकर पलामू में अनुमंडल स्तरीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस अवसर पर उप विकास आयुक्त जावेद हुसैन ने कहा कि बाल विवाह जैसी सामाजिक कुरीति को समाप्त करने के लिए समाज के हर व्यक्ति को अपनी भूमिका गंभीरता से निभानी होगी। उन्होंने कहा कि कम उम्र में विवाह करने वाले बालक-बालिकाएं शारीरीक और मानसिक रूप से पूर्ण विकसित नहीं होते। उनमें कुपोषण और स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं अधिक देखने को मिलती है। यही कारण है कि बाल विवाह न केवल एक सामाजिक समस्या है, बल्कि यह स्वास्थ्य, शिक्षा और महिला सशक्तिकरण से भी जुड़ा मुद्दा है। उन्होंने बाल विवाह के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाने पर बल दिया। उन्होंने कहा कि यह सामाजिक कुरीतियों के साथ-साथ दंडनीय अपराध है। सभी प्रखंड विकास पदाधिकारी एवं थाना प्रभारी यह सुनिश्चित करें कि उनके क्षेत्र में एक भी बाल विवाह नहीं हो। इससे संबंधित सूचना मिलते ही शादी रूकवाने के साथ-साथ प्रावधान अनुरूप इसमें शामिल माता-पिता के साथ-साथ सभी के विरूद्ध कानूनी कार्रवाई की जाए।

उप विकास आयुक्त ने कहा कि पलामू जिले के लोगों में अब जागरूकता बढ़ी है, जिसका सकारात्मक परिणाम यह है कि बाल विवाह होने के पूर्व ही सूचनाएं प्राप्त हो रही है और उसपर प्रशासन तत्परता से कार्रवाई कर रहा है। उन्होंने कहा कि बाल विवाह की रोकथाम में आंगनबाड़ी सेविकाओं और सहायिकाओं की भूमिका बेहद महत्वपूर्ण है, क्योंकि वे समाज के हर तबके तक पहुँच रखती हैं और जमीनी स्तर पर जागरूकता फैला रही हैं।

सहायक समाहर्ता हिमांशु कुमार लाल ने कहा कि बाल विवाह जैसी कुरीतियों को मिलकर जड़ से समाप्त करना होगा। इसके लिए जागरूकता आवश्यक है। बाल विवाह से बालिकाएं शारीरीक व मानसिक रूप से पीछे रह जातीं हैं।

अनुमंडल पदाधिकारी सुलोचना मीना ने जमीनी स्तर पर जागरूकता अभियान को तेज करने पर बल दिया। उन्होंने कहा कि हमारा लक्ष्य सिर्फ शादियां रुकवाना नहीं, बल्कि जागरूकता फैलाकर लोगों की मानसिकता में बदलाव लाना आवश्यक है। उन्होंने शिक्षा विभाग, आंगनबाड़ी सेविका, सहायिका, सहिया आदि प्रशासनिक एवं गैर प्रशासनिक तंत्र के माध्यम से अपने सूचना तंत्र को और मजबूत करने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि धर्म गुरूओं की समाज में सकारात्मक प्रभाव रहता है, ऐसे में बाल विवाह की रोकथाम में उन्हें आगे आने की जरूरत है। लोग अपनी पहचान छुपाकर भी इसकी रोकथाम में भूमिका निभा सकते हैं।

जिला समाज कल्याण पदाधिकारी नीता चौहान ने विभाग की कार्य योजना प्रस्तुत करते हुए कहा कि बाल विवाह की रोकथाम के लिए विशेष अभियान चलाया जा रहा है। अभियान को और सशक्त व प्रभावी बनाया जाएगा। उन्होंने कहा कि स्कूलों, पंचायत और हाट- बाजारों में नुक्कड़- नाटक और अन्य माध्यमों से लोगों को बाल विवाह के दुष्प्रभाव के बारे में बताया जाएगा। साथ ही बाल विवाह से प्रभावित बच्चियों को विभाग के विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं से जोड़कर उन्हें मुख्यधारा में वापस लाया जाएगा। उन्होंने कहा कि पलामू को बाल विवाह मुक्त जिला बनाने की दिशा में हम सभी अग्रसर हैं।

कार्यशाला के अंत में सभी ने बाल विवाह रोकथाम को लेकर एकजुट होकर कार्य करने की शपथ ली।

कार्यशाला में नियोजन पदाधिकारी नीरज कुमार, जिला शिक्षा पदाधिकारी सौरभ प्रकाश सहित संबंधित विभागों के अधिकारी, बाल संरक्षण इकाई के सदस्य, पंचायत सचिव, प्रवेक्षिका, आंगनबाड़ी सेविका, सहायिका तथा विभिन्न सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधि, विभिन्न धार्मिक स्थलों से जुड़े धर्म गुरू भी उपस्थित रहे।

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