स्वर कोकिला शारदा सिन्हा की प्रतिमा लगेगी चैनपुर पार्क में , अरुणा शंकर

अंतिम गीत दुखवा मिटाई दे छठी मैया, हमरो सुन ली पुकार…

मेदिनीनगर (पलामू)

प्रथम महापौर पद्म भूषण स्वर कोकिला शारदा सिन्हा को उनके पुण्यतिथि पर याद करते हुए कही आज हम सबों के बीच पद्मभूषण शारदा सिन्हा जी नहीं रही जिनके आवाजों के गूंज से हम हिंदुओं का सबसे बड़ा पर्व छठ की शुरुआत होती और उनके आवाजों को सुनकर तीन दिनों का निर्जला पर्व समाप्त होता । प्रथम महापौर ने कहा जैसे ही हम सबों के कानों में छठ का भाव भरा गीत गूंजने लगता “करिह क्षमा छठी मैया, भूल चुक गलती हमार ” हमारे अंदर एक ऊर्जा और आस्था स्वत पैदा होने लगती जो इतनी कठिन पर्व को आसान बना देता । शारदा सिन्हा जी का जन्म 1 अक्टूबर और मृत्यु 5 नवंबर को मुंबई में हुई थी । वह एक लोक और शास्त्रीय गायिका थी जिन्हें बिहार कोकिला के नाम से भी जाना जाता । उनका जन्म सुपौल जिले के उल्लास गांव में हुआ था और उनके पिता शिक्षा विभाग में एक वरिष्ठ पदाधिकारी थे । स्वर्गीय शारदा सिन्हा को पद्मश्री और पद्म भूषण के अलावे राष्ट्रीय अहिल्या देवी अवार्ड भी दिया गया था । प्रथम महापौर ने बताया उन्होंने अंतिम गीत मुंबई में हॉस्पिटल से गाई थी “दुखवा मिटाई दे छठी मैया , रखिय असरा हमार,
सब के पूरा देनी मनसा, हमरो सुनली पुकार । जिस वक्त उन्होंने यह गाना गया था अस्पताल में उसे वक्त उन्हें नहीं पता था यह उनका अंतिम गीत है आज वह हम सबों के बीच नहीं लेकिन उनके गाने उन्हें हम सबों के बीच अमर बनाए रखा है। आज 5 नवंबर को देव दीपावली के दिन उनकी पुण्यतिथि है अगर मुझे महापौर बनने काअवसर पुनः मिला तो चैनपुर सूर्य मंदिर पार्क जो छठ के लिए प्रसिद्ध है में स्वर कोकिला शारदा सिन्हा की प्रतिमा लगवाऊंगी क्योंकि उस पार्क में ऐतिहासिक छठ होता और छठ बिना शारदा सिन्हा के गाने के अधूरा है । प्रथम महापौर ने कहा माननीय हमारे देश के नायक प्रधानमंत्री से एवं बिहार सरकार से भी अनुरोध करना चाहूंगी ऐसे हस्ती जिन्होंने बिहार को अपने गीत के बदौलत एक पहचान दी और आज उनके गाए छठ गीत देश-विदेश में भी सर्वाधिक छठ के समय सुनी जाती है उनकी एक आदमकत प्रतिमा पटना में बननी चाहिए यह कलाकारों का सम्मान है ।

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