हमारा जंगल हमारी जान सतबरवा में गूंजा आदिवासी अस्मिता का स्वर

जल–जंगल संघर्ष समिति के बैनर तले ग्रामीणों का ऐतिहासिक धरना
सतबरवा (पलामू)

सतबरवा मंगलवार को पर्यावरण, परंपरा और अस्तित्व की लड़ाई का प्रतीक बन गया।
रेवारातू पंचायत के कौटया, सप्तमी (सतनी) और लकड़ाही पहाड़–जंगल को बचाने की मांग को लेकर जल–जंगल संघर्ष समिति के बैनर तले सैकड़ों ग्रामीणों ने प्रखंड सह अंचल कार्यालय परिसर में ऐतिहासिक धरना–प्रदर्शन किया। सरना झंडा थामे पुरुष–महिलाओं ने पारंपरिक नारों और गीतों के साथ प्रशासन से जंगल को ग्राम समाज के नियंत्रण में रखने की मांग की। धरना का संचालन समाजसेवी आशीष कुमार सिन्हा ने किया। यह जंगल हमारी सांस है शिवराज सिंह धरना की अगुवाई कर रहे 81 वर्षीय वरिष्ठ आदिवासी नेता एवं संघर्ष समिति के अध्यक्ष शिवराज सिंह ने भावनात्मक संबोधन में कहा कि यह जंगल हमारे पुरखों की धरोहर है। हमने पीढ़ियों से इसकी रखवाली की है। अब जब जीवन की संध्या आ गई है, मैं यही चाहता हूं कि यह जंगल आने वाली पीढ़ियों के लिए जीवित रहे। अगर यह जंगल गया, तो हमारी पहचान, हमारी संस्कृति, सब कुछ खत्म हो जाएगा। उन्होंने कहा कि यह जंगल गांव की आत्मा है — जहां से पानी, हवा और जीवन की धारा बहती है।
हम इसे किसी भी कीमत पर उजड़ने नहीं देंगे। जरूरत पड़ी तो आंदोलन की आग पूरे क्षेत्र में फैलेगी। पांकी विधायक के सतबरवा प्रतिनिधि सह सोशल मीडिया प्रभारी महेश यादव ने कहा कि जल, जंगल और पहाड़ हमारी जीवनरेखा हैं। कुछ लोगों ने फर्जी ग्रामसभा दिखाकर जंगल की लीज कराने की साजिश की है। इसे किसी कीमत पर स्वीकार नहीं किया जाएगा। धरना में सैकड़ों ग्रामीणों ने भाग लिया और एक स्वर में सरकार से मांग की कि जंगलों को बाहरी ठेकेदारों या निजी कंपनियों को सौंपने की योजना तुरंत वापस ली जाए। अंत में संघर्ष समिति के अध्यक्ष शिवराज सिंह, महेश यादव, अशोक यादव, रघु साव, एतवरिया देवी और पारो देवी ने सीओ सह बीडीओ कृष्ण मुरारी तिर्की को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के नाम ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन में मांग की गई कि जंगल को ग्राम सभा के अधिकार में रखा जाए और किसी भी बाहरी दखल को रोका जाए। ग्रामीणों ने चेतावनी दी कि यदि मांगें अनसुनी रहीं, तो आंदोलन को प्रखंड से जिले तक विस्तारित किया जाएगा।
धरना की प्रमुख बातें-
सैकड़ों ग्रामीणों ने सरना झंडा लेकर जल–जंगल–जमीन बचाओ का नारा लगाया ।81 वर्षीय शिवराज सिंह ने आखिरी सांस तक जंगल बचाने की प्रतिज्ञा ली ग्राम सभा की फर्जी प्रक्रिया की जांच और लीज रद्द करने की मांग।मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा गया।संघर्ष समिति का नारा पेड़ बचाओ, पहाड़ बचाओ,
यही है जीवन, यही हमारी पहचान है।

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