मेदिनीनगर (पलामू)
पलामू जिला में गतका प्रशिक्षण शिविर का आयोजन बड़े ही उत्साह और परंपरागत जोश के साथ गुरू तेग बहादुर मेमोरियल हॉल, डालटनगंज में किया गया। इस ऐतिहासिक आयोजन में जिले के विभिन्न स्कूलों के छात्रों और खेल प्रेमियों ने भाग लिया और पारंपरिक मार्शल आर्ट “गतका” की बारीकियों को सीखा।
कैम्प में भाग लेने वाले प्रमुख स्कूलों में –
संत मरियम स्कूल, ब्राइट लैंड स्कूल, ओरिएंट पब्लिक स्कूल, ग्रीन वैली इंटरनेशनल स्कूल, गुरू गोबिंद सिंह पब्लिक स्कूल, हाई स्कूल मंदारिया लेस्लीगंज, जिला स्कूल, सेक्रेड हार्ट स्कूल, जे. एस कॉलेज, कस्तूरबा स्कूल शामिल रहे।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि थे – जिला अध्यक्ष सोनू नामधारी,
और उपाध्यक्ष गुरबीर सिंह,
जबकि विशिष्ट अतिथि के रूप में बबलू चावला, मन्नत बग्गा और प्रदीप मेहता उपस्थित थे।
प्रशिक्षण सत्र का नेतृत्व गतका एसोसिएशन ऑफ झारखंड के अनुभवी प्रशिक्षक अमित सिंह और उनकी टीम ने किया।
इसके अतिरिक्त बरवाडीह से मदन लाल और गढ़वा से मनोज सेंसेई ने भी विशेष प्रशिक्षक के रूप में अपनी अहम भूमिका निभाई।
इस अवसर पर जिला सचिव सुमित बर्मन ने कहा –
“गतका केवल खेल नहीं, एक संस्कार है, जो बच्चों को अनुशासन, आत्मविश्वास और आत्मरक्षा की शिक्षा देता है। हमें इसे हर स्कूल, हर गांव तक पहुंचाना है।”
कार्यक्रम में पलामू गतका संघ के सभी अधिकारीगण भी सक्रिय रूप से शामिल रहे:
कोषाध्यक्ष: अमरेश कुमार
शिक्षा सचिव: भूपेंद्र सिंह
सह सचिव: दीपेंद्र सिंह
सचिव: दीपक तिवारी
जिला अध्यक्ष: सुमित वर्मा
जिला अध्यक्ष सोनू नामधारी ने कहा –
“आज का शिविर यह संदेश देता है कि पलामू के बच्चे न केवल शिक्षा में, बल्कि परंपरागत युद्धकला में भी उत्कृष्टता हासिल कर सकते हैं। इस तरह के शिविर बच्चों को आत्मनिर्भर बनाते हैं और उन्हें अपनी विरासत से जोड़ते हैं।”
उपाध्यक्ष गुरबीर सिंह ने कहा –
“गतका वीरता, अनुशासन और आत्मबल का संगम है। यह देख कर हर्ष होता है कि पलामू जिले के बच्चे इस परंपरा को आगे बढ़ाने में रुचि दिखा रहे हैं। हम इसे स्कूल स्तर से लेकर राज्य स्तर तक ले जाएंगे।”
प्रमुख सीनियर खिलाड़ी जैसे –
आकाश प्रताप,
खेलो इंडिया मेडलिस्ट काजल कुमारी,
चांदनी कुमारी,
साक्षी कुमारी,
सौभाग्य कुमार
ने विशेष प्रदर्शन और प्रशिक्षण देकर प्रतिभागियों का मनोबल बढ़ाया।
शिविर का समापन प्रशिक्षण प्रदर्शन और प्रशस्ति पत्र वितरण के साथ हुआ। आयोजन में सभी पदाधिकारियों, स्कूलों और प्रशिक्षकों ने बच्चों को पारंपरिक मार्शल आर्ट से जोड़ने की दिशा में एक नई शुरुआत की

