बरवाडीह, पैरा और लेदगाई में सरहुल पर हुई गांव गम्हेल और दुर्जाग्नि की पूजा ,मांदर की थाप पर झूमते गांव के लोग

बरवाडीह (लातेहार)

ग्राम देवता और प्रकृति की पूजा को समर्पित सरहुल पूजा बरवाडीह , पैरा और लेदगाई मे पारंपरिक तरीके से मनाया गया।बरवाडीह के ग्राम प्रधान भवनाथ सिंह और पैरा के जयमंगल सिंह और लेदगाई गांव के कन्हाई सिंह बैगा द्वारा गांव के धरतीबर माड़र में गांव गम्हेल और दुर्जाग्नि की पूजा अर्चना की गई। इस दौरान लोग मांदर के पारंपरिक धुन पर नाचते गाते दिखे। सरहुल को लेकर इसके पूर्व संध्या पर शनिवार की शाम ढोल बजाकर गांव के प्रत्येक टोला में रविवार को सरहुल पूजा के बारे में लोगों को जानकारी दी गयी थी। वही रविवार को लोगों ने अपने घर में चूल्हे को नहीं जलाया । साथ ही किसीचापानल अथवा कुआं पर पानी भी नहीं भरा। वही दोपहर एक बजे पूजा अर्चना संपन्न होने के बाद चूल्हा जलाया गया और पानी भरने का काम शुरू किया गया।
बतादे कि इन दिनों जेठ महीने के कृष्ण पक्ष में अलग-अलग गांवों में अलग-अलग दिन लोग सरहुल मनाते हैं। पूजा को लेकर लोगों में काफी आस्था और विश्वास होती है गांव के सभी सदस्य माड़र तक पहुंचते हैं और सरहूल पूजा को पारंपरिक तरीके से मनाते हैं। इस दौरान लोगों ने बताया कि सरहुल पूजा प्रकृति की पूजा का संदेश देती है। पूजा के माध्यम से जल, जंगल, जमीन के महत्व को समझने का प्रयास किया जाता है। साथ ही इसकी रक्षा का संकल्प भी लिया जाता है। साथ ही पूरे गांव के हरेक जाति के लोगों को जोड़ने का भी काम करता है।

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