छायावाद के स्तंभ थे सूर्यकांत त्रिपाठी निराला, नवजागरण का दिया संदेश , विजयकांत

विश्रामपुर (पलामू)

रेहला स्थित संत तुलसीदास महाविद्यालय के सभागार में गुरुवार को हिंदी विभाग की ओर से एक दिवसीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता प्राचार्य केके चौबे व संचालन हिंदी विभाग के प्रोफेसर राकेश कुमार शुक्ला ने किया। कार्यक्रम की शुरुआत मां सरस्वती की प्रतिमा पर माल्यार्पण के साथ की गई। बतौर मुख्य अतिथि हिंदी प्रवक्ता विजयकांत शुक्ला व विशिष्ट अतिथि के तौर पर दीप राम कुमार आमंत्रित थे। संगोष्ठी विषय सूर्यकांत त्रिपाठी निराला का छायावाद में योगदान विषय पर सभी वक्ताओं ने अपने-अपने विचार दिया। बतौर मुख्य अतिथि हिंदी प्रवक्ता विजय कांत शुक्ला ने कहा कि सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’ छायावादी युग के एक महान कवि थे, जिन्होंने अपनी कविताओं में प्रेम, सौंदर्य, प्रकृति और व्यक्तिगत भावनाओं का सुंदर चित्रण किया है। सूर्यकांत त्रिपाठी निराला की कविता में छायावाद के विशिष्ट लक्षण दिखाई देते हैं। उनकी कविताएँ छायावादी युग के प्रमुख लक्षणों को दर्शाती हैं और आज भी पाठकों को अपनी ओर आकर्षित करती हैं।
प्राचार्य केके चौबे ने कहा कि सूर्यकांत त्रिपाठी निराला युगान्तकारी कवि थे। मुक्तछंद के प्रवर्तक निराला ने काव्य को नवीनता प्रदान की। वे छायावादी,रहस्यवादी होने के साथ प्रगतिवादी व पूंजीवाद के विरोधी भी हैं। सामाजिक बुराईयों का यथार्थ चित्रण करके उन्होंने भारतीय जनता को नवजागरण का संदेश दिया। छायावाद के चार प्रमुख स्तंभ में शामिल निराला ने अपनी कविता में कल्पना का सहारा बहुत कम लिया है व यथार्थ को प्रमुखता से चित्रित किया है। कार्यक्रम में हिंदी विभागाध्यक्ष डॉ श्याम मिश्रा, शबनम निशा, डॉ सुनील यादव, संतोष शुक्ला, जितेंद्र पाठक, मधु ओझा, दिलीप चौबे, अमित कुमार, गुंजन पासवान, आशीष पांडेय, दिनेश शाह, सुधीर यादव, रामेश्वर राम सहित छात्र छात्राएं मौजूद थे।

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