भव्य शोभायात्रा, साधना, सांस्कृतिक कार्यक्रमों और भाषायी विविधता में गूंजा ‘आनंद’ का स्वर
मेदिनीनगर (पलामू)
आनंद मार्ग जागृति, नई मुहल्ला में सोमवार को प्रभात रंजन सरकार ‘श्री श्री आनंदमूर्ति जी’ का 104वां जन्मदिवस आनंद पूर्णिमा उत्सव के रूप में पूरे उत्साह, श्रद्धा और भक्ति भाव से मनाया गया। यह शुभ दिन आनंद पूर्णिमा का था, जिस पर 1921 में जमालपुर (बिहार) में उनका जन्म हुआ था।
वरिष्ठ आनंदमार्गी अधिवक्ता लक्ष्मण सिंह ने बताया कि श्री श्री आनंदमूर्ति जी ने मानव मात्र के शारीरिक, मानसिक व आध्यात्मिक विकास के लिए तांडव, कोशिकी नृत्य और साधना का मार्ग प्रशस्त करते हुए आनंद मार्ग मिशन की स्थापना की। आज यह मिशन दुनिया के कोने-कोने में समाज के चतुर्दिक विकास हेतु कार्यरत है। सुबह जागृति परिसर में भजन, कीर्तन और सामूहिक साधना के साथ कार्यक्रम की शुरुआत हुई। इसके उपरांत एक भव्य शोभायात्रा निकाली गई, जो जागृति से स्टेशन रोड, चर्च रोड, कचहरी चौक, सरकारी बस डिपो, छामुहान, शदिक चौक होते हुए स्टेशन चौक से पुनः जागृति लौटकर सम्पन्न हुई। जिले भर से आए सैकड़ों आनंदमार्गियों ने इसमें भाग लिया और “मानव-मानव एक है, मानव का धर्म एक है” जैसे उदात्त नारों के साथ प्रेम, शांति और एकता का संदेश दिया। कार्यक्रम में कोशिकी नृत्य और तांडव प्रतियोगिता ने विशेष आकर्षण बटोरा। बच्चों के लिए पेंटिंग, क्विज आदि प्रतियोगिताएं भी आयोजित की गईं, जिससे पूरा वातावरण आनंदमय हो उठा।
कार्यक्रम के दौरान श्री श्री आनंदमूर्ति जी द्वारा प्रदत्त आनंदवाणी का विभिन्न भाषाओं—मगही, हिंदी, संस्कृत, अंग्रेज़ी, बंगाली, नागपुरी, मैथिली आदि में वाचन किया गया।
एक भावप्रवण वाणी में कहा गया:
“उनकी कृपा का एक कण समझ पाने पर जीव-मानस की सारी ग्लानि क्षण भर में दूर हो जाती है। तब भी मनुष्य उनकी कृपा को समझने की चेष्टा नहीं करता। उनकी इस कृपा को समझने का नाम ही तो साधना है। यदि तुम साधना नहीं करते, तो दोष तुम्हारा ही है। अपने सुख-दुख के लिए उस करुणा-सिन्धु परमब्रह्म को दोष मत दो।”
इस अवसर पर भुक्ति प्रधान मधेश्वर जी, विश्वनाथ जी, बैजनाथ जी, सरोज, गोपाल, अखिलेश, अरविंद, प्रदीप, रामस्वरूप, मणिकांत, दीपक, शंकरसन, सहज प्रिया, रेणु, मधुबाला, शारदा, पूनम सहित सैकड़ों श्रद्धालु उपस्थित रहे। यह उत्सव न केवल एक आध्यात्मिक आयोजन था, बल्कि मानवता के उत्थान और आत्मविकास के लिए प्रेरणा का स्रोत भी बना।