मेदिनीनगर (पलामू)
संविधान निर्माता बोधिसत्व बाबा साहेब बी आर आंबेडकर की जयंती है। अपने संत मरियम विद्यालय में बच्चों के साथ उन्हें याद किए और दीप प्रज्वलन कर पुष्पांजलि अर्पित कर नमन किए। अपने संबोधन में हमने कहा जब गोरे साम्राज्यवाद के विस्तार कर रहे थे तब भारत के शासक बन बैठे। तीन सौ साल तक हिन्दुस्तान को सिर्फ लुटा और यहां के स्मिता से भी खेला। इस दास्ता के खिलाफ भारतीयों में विक्षोभ का चिंगारी सुलगा और सन सैंतालीस में अंग्रेजों को भागना पड़ा। हिंदुस्तान के बहुत से नेताओं के अगुआई में देश आजाद हुआ जिसमें एक बाबा साहेब बी आर आंबेडकर भी थे। आंबेडर को मानना था कि अंग्रेज तो चले जाएंगे,जाने के बाद उनकी जो अंग्रेजियत रह जाएगी उससे भारतीय नागरिकों को भारी खतरा है। सामंत जमींदार शोषक जातियां सत्ता के निकट रहने वाले लंपट लोग इन्हें शोषण करेंगे। समता समानता शोषण के खिलाफ न्याय के लिए जातिवाद, छुआछूत स्पृश्यता के विरुद्ध बराबरी के लिए बाबा साहेब ता उम्र लड़ते रहे। आजादी के बाद हुकूमत चलाने के लिए संविधान तैयार करने की बारी आई तब बाबा साहेब को खोजा गया और अंततः भारत को संविधान सौंपा। ये दो अतुलनीय कार्य के लिए बाबा साहेब हमेशा जाने जायेंगे।
देश में जब आतंकवाद साम्प्रदायिक शक्तियां फासीवादी ताकतें हावी है तब डॉक्टर आंबेडकर के विचार समकालीन दौर में ज्यादा प्रासंगिक हो रहे हैं। नए भारत के वास्ते बाबा साहेब अम्बेडर के रास्ते जब हम आगे बढ़ेंगे तब ही हमारा देश शिक्षित व संगठित हो सकता है। कॉरपोरेटीकरण के दौर में देश की संप्रभुता को मखौल उड़ाया जा रहा है लोकतंत्र को कमजोर और संविधान को खत्म करने की साजिशे की जा रही है। जब संविधान नहीं रहेगा तो लोकतंत्र नहीं बचेगी फिर हम राजतंत्र में चक्की पीसने पर मजबूर होंगे और देश मुठ्ठी भर लोगों के हाथ में चला जाएगा। इसलिए डॉक्टर अंबेडर के विचारों पर चलने की दरकार है। जय भीम जोहार!