मेदिनीनगर (पलामू)
भूतपूर्व विधायक व वरिष्ठ अधिवक्ता सचिदानंद त्रिपाठी के दिव्य स्मृति में शनिवार को 38 वां पुण्यतिथि सह अधिवक्ता सम्मान समारोह का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का उद्घाटन पलामू के प्रधान जिला और सत्र न्यायाधीश नीरज कुमार श्रीवास्तव व कुटुंब न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश संजीव कुमार दास ने संयुक्त रूप से द्वीप प्रज्वलित कर व स्वर्गीय त्रिपाठी के चित्र पर माल्यार्पण कर किया। इस मौके पर कुटुंब न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश संजीव कुमार दास, अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष रामदेव प्रसाद यादव आदि को बुके देकर शॉल ओढ़ाकर व धार्मिक पुस्तक व न्याय की देवी का प्रतिमा भेंटकर स्वागत किया गया। इस मौके पर प्रधान जिला और सत्र न्यायाधीश नीरज कुमार श्रीवास्तव ने कहा कि सचिदानंद त्रिपाठी समय के बेहद पावन्द थे ।उन्होंने पेशे में पैसों की प्रधानता नहीं दी बल्कि वकालत को समाज सेवा के रूप में विख्यात किया। उन्होंने कहा कि अधिवक्ता बंधु अगर अपने वकालत पेशा में इसी दृष्टिकोण को लागू कर करें तो उन्हें किसी तरह की समस्या नहीं होगी और कार्य करने में उन्हें संतुष्टि भी मिलेगी। उन्होंने कहा कि स्वर्गीय त्रिपाठी के याद में यह परंपरा का आयोजन किया जाता है । यह एक नेक पहल है ।क्योंकि इस तरह के कार्यक्रम कर जहां अधिवक्ताओ को सम्मानित किया जाता है वहीं दिवंगत को याद करते हैं ।उन्होंने कहा कि जो समय की कीमत को समझता है सफलता उसी को मिलता है। उन्होंने कहा कि स्वर्गीय त्रिपाठी का वकालत के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान को कभी भुलाया नही जा सकता। इस मौके पर संरक्षक शशि भूषण दुबे ने कहा कि स्वर्गीय त्रिपाठी का व्यक्तित्व आज हम सबों के लिए प्रेरणादायक है। उन्होंने कहा कि उनके पुण्यतिथि मनाने का उद्देश्य वकालत के क्षेत्र में किए गए कार्य को जीवंत रखने का एक साधारण प्रयास है। उन्होंने कहा कि सचिदानंद त्रिपाठी का जन्म 27 अगस्त 1925 को सदर प्रखंड के रजवाडीह गांव में हुआ था ।उन्होंने 14 अप्रैल 1950 से वकालत की शुरुआत की थी ।1962 से 1967 तक बिहार विधानसभा के सदस्य रहे व डाल्टनगंज भंडरिया विधानसभा का प्रतिनिधित्व किया।उन्होंने कहा कि एक साधारण शिक्षक पिता के पुत्र स्वर्गीय त्रिपाठी फौजदारी मुकदमा के विशेषज्ञ थे । 8 मार्च 1987 को रांची में उनका देहावसान हो गया। एक साधारण व्यक्ति अपने कर्म के बल पर वकालत के साथ-साथ समाज सेवा में एक अलग पहचान बनाया है। इस मौके पर मंच का संचालन अधिवक्ता दिवाकर दुबे ने किया ।उन्होंने कहा कि सचिदानंद त्रिपाठी हम लोगों के बीच नहीं है लेकिन उनका व्यक्तित्व व कृतित्व हम सबों के लिए प्रेरणादायक है ।उन्होंने वकालत के क्षेत्र में काफी उपलब्धि पाया है।इस मौके पर प्रधान जिला और सत्र न्यायाधीश नीरज कुमार श्रीवास्तव ने महिला दिवस के अवसर पर कार्यक्रम में ही महिला अधिवक्ता अंजुम प्रवीण, छाया सिंह, सुप्रिया रंजन ,प्रिया रंजन, कामिनी सिंह ,सोनाली सिंह अधिवक्ता आस्था प्रकाश जायसवाल और सुरभि सिंह को स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मानित किया ।वही प्रधान जिला और सत्र न्यायाधीश ने 12 अधिवक्ता को वकालत के क्षेत्र में बेहतर कार्य करने के लिए न्याय की देवी का स्मृति चिन्ह व शाल ओढ़ाकर सम्मानित किया ।सम्मानित होने वाले अधिवक्ताओं में उमेश कुमार, धनंजय प्रसाद सिंह ,अनिल कुमार सिंह, नागेंद्र प्रसाद श्रीवास्तव, कामेश्वर तिवारी ,दिनेश चंद्र पांडेय,जमाल अहमद, सुरेंद्रनाथ शुक्ला, लल्लू प्रसाद सिंह, वरुण कुमार सिंह, केदारनाथ चौबे ,सैयद आफताब आलम शामिल है ।उपरोक्त अधिवक्ता करीब तीन दशक से वकालत पेशा से जुड़े हैं।इस मौके पर धन्यवाद ज्ञापन अधिवक्ता राहुल सत्यार्थी ने किया।मौके पर डीजे अभिमन्यु कुमार,स्वेता ढींगरा, आयशा खान,आभाष कुमार ,संदीप निशित बारा, अर्पित श्रीवास्तव शिखा अग्रवाल ,कमल प्रकाश सभी न्यायिक पदाधिकारी के अलावे अधिवक्ता ,रवि भूषण दुबे,बलराम तिवारी, सचिदानंद तिवारी, बैकुण्ठ दुबे,मनोज राजन,सिकन्दर दुबे,सतीश दुबे,कमलेश दुबे,अभिषेक चौबे,अमित तिवारी, राजेश दुबे,अभिनव कुमार,अंशु कुमार समेत दर्जनों अधिवक्ता उपस्थित थे।