महिलाओं के साथ अश्लील व्यवहार न करे यह अपराध है , संतोष कुमार पांडेय

मेदिनीनगर (पलामू)

महिलाओं के साथ होने वाले अश्लील व्यवहार को कानून में अपराध माना गया है। चाहे वह कार्यालय में हो या कहीं पर किसी भी महिला को इस प्रकार की स्थिति में चुप नहीं रहना चाहिए, बल्कि सही कदम उठाते हुए न्याय की मांग करना चाहिए ।उक्त बातें लीगल एड डिफेंस काउंसिल के डिप्टी चीफ संतोष कुमार पांडेय ने कहीं। वे शनिवार को पलाश जे एस एल पी एस के तत्वाधान में आयोजित एकदिवसीय कार्यस्थल पर महिलाओं के यौन शोषण (रोकथाम, निषेध, निवारण) अधिनियम 2013 पर बतौर रिसोर्स पर्सन संबोधित कर रहे थे। उक्त कार्यक्रम शनिवार को सभा कक्ष में आयोजित किया गया था। इस मौके पर श्री पाण्डेय ने कहा कि उत्पीड़न की शिकार महिला को किसी प्रकार की कानूनी सहायता की आवश्यकता है तो आप डालसा में संपर्क कर सकते हैं। डालसा से अनुभवी वकील आपको कानूनी सहायता में पूरी तरह मार्गदर्शन करेंगे और आपको न्याय दिलाने के लिए हर संभव प्रयास करेंगे ।उन्होंने कहा कि महिलाएं के सामने लिंगभेद की एक बड़ी समस्या है।जिसके चलते वे खुलकर बोल नही पाती है।उन्होंने कहा कि 10 या ज्यादा कर्मचारी वाले कार्य स्थलों पर आंतरिक शिकायत समिति बनाया जाना जरूरी है। परंतु दुर्भाग्य है कि अभी भी बहुत जगह इस तरह के समिति नहीं बनाए गए हैं। उन्होंने कहा कि यौन उत्पीड़न के अपराध को भारतीय न्याय संहिता की धारा 75 के तहत गम्भीर अपराध माना गया है।इसके तहत किसी महिला को गलत तरीके से छूना अश्लील प्रस्ताव देना अश्लील सामग्री दिखाना अश्लील बातें ए सारा करना शामिल है इसके तहत दोषी व्यक्ति को 3 साल की सजा और जुर्माना का भी प्रावधान किया गया है ।उन्होंने कहा कि इसकी शिकायत जिसके साथ घटना हुई है वह कर सकती है। कॉलेज ,विश्वविद्यालय में विद्यार्थियों, शोध छात्रों और अस्पतालों में रोगियों को भी इसके तहत शामिल किया गया है । उन्होंने कहा कि उत्पीड़न की तारीख से तीन माह के भीतर शिकायत आंतरिक शिकायत समिति को पीड़ित महिला कर सकती है। उन्होंने कहा कि कार्य स्थल पर महिलाओं के यौन उत्पीड़न( रोकथाम निषेध व निवारण )अधिनियम 2013 POSH बनाया गया है। यह अधिनियम महिलाओं के लिए सुरक्षित कार्य स्थल सुनिश्चित करने के लिए बनाया गया है ।उन्होंने कहा कि महिला सुरक्षा को लेकर वन स्टॉप सेंटर ,उज्जवला गृह ,सुधार गृह व नारी शक्ति पुरस्कार आदि स्कीम हैं ।उन्होंने कहा कि उत्पीड़न के कई प्रकार हैं ।जिसमें शारीरिक उत्पीड़न, मौखिक उत्पीड़न और गौर मौखिक उत्पीड़न शामिल है ।उन्होंने कहा कि महिलाओं को किसी के भरोसे नहीं रहना चाहिए। उन्होंने विशाखा दिशा निर्देश के बारे में विस्तार से चर्चा की। साथ ही पीड़िता को मुआवजा के बारे में बताया।उन्होंने कहा कि महिलाओं के साथ दुष्कर्म,यौन शोषण के मामले में डालसा के द्वारा मुआवजा दिया जाता है ।उन्होंने अनुच्छेद 14, 15 व 21 के बारे में विस्तार से चर्चा की।इस मौके पर जिला कार्यक्रम प्रवन्धक जे एस एल पी एस के अनिता केरकेटा ने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय द्वारा संविधान के अनुच्छेद 15 में केवल धर्म, नस्ल ,जाति ,लिंग और जन्म स्थान के आधार पर भेदभाव नहीं किया जा सकता ।उन्होंने कहा कि पॉस 2013 के लागू होने के बाद कार्य स्थल पर सेक्सुअल हैरेसमेंट की शिकायत दर्ज करवाना ज्यादा आसान हो गया है। इस एक्ट के 90 दिनों के अंदर शिकायत की इंक्वारी पूरी होनी जरूरी है। उन्होंने कहा कि कार्य स्थल पर कमेटी को शिकायत कर सकते हैं या फिर आप पुलिस स्टेशन में इसके खिलाफ शिकायत दर्ज करवा सकती हैं ।अगर कमेटी को लगता है कि मामला बहुत गंभीर है तो कमेटी के तरफ से खुद शिकायत दर्ज करवाई जा सकती है ।उन्होंने पॉस के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि कार्य स्थल पर महिलाएं सुरक्षित माहौल में काम कर सके इसके लिए यह प्रावधान बनाया गया है इस मौके पर नई दिशाएं के सचिव व पीएलवी इंदु भगत ने कहा कि महिला अपने को अबला नही समझे।उनके लिए कानून बना है।उन्होंने कहा कि महिलाओं को झूठे केस मुकदमा करने से बचना चाहिए। उन्होंने कहा कि अत्याचार करे नही व अत्याचार सहे नही।उन्होंने महिला हिंसा,कन्या भूर्ण हत्या ,बाल विवाह रोकथाम कानून पर भी बिस्तार से चर्चा की।इस मौके पर जिला प्रबंधक समाजिक विकास प्रवीण कुमार, नवल किशोर राजू अवकेस खलको,बैभव कांत आदर्श, सुनील प्रसाद,सत्यप्रिय तिवारी,मुकेश कुमार, अंकिता ,पिंकी कुमारी, सुमन कुमारी,समेत दर्जनों कार्यक्रम प्रबंधक उपस्थित थे।

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