मेदिनीनगर (पलामू)
शनिवार को झारखंड सरकार के वित्त मंत्री राधा कृष्ण किशोर ने मेदिनीराय मेडिकल कॉलेज अस्पताल का निरीक्षण किया। स्थानीय विधायक और अब मंत्री बनने के बाद, लोगों को उनसे काफी उम्मीदें हैं कि वे क्षेत्र के विकास और सुविधाओं में सुधार लाएंगे। अस्पताल का दौरा करते हुए उन्होंने पाया कि कई चिकित्सक ड्यूटी से नदारद हैं और अस्पताल में साफ-सफाई की हालत बेहद खराब है। यह देखकर मंत्री जी का गुस्सा सातवें आसमान पर पहुंच गया। उन्होंने तुरंत अस्पताल के प्रभारी अधीक्षक डॉ. संजय कुमार को तलब कर बेहतर सफाई सुनिश्चित करने और लापरवाही बरतने वालों पर कार्रवाई के निर्देश दिए।
स्थानीय मंत्री से बढ़ी उम्मीदें
पलामू क्षेत्र के लोग लंबे समय से एक स्थानीय मंत्री का इंतजार कर रहे थे। अब जब उन्हें अपना प्रतिनिधि मंत्री के रूप में मिला है, तो जनता को उम्मीद है कि अस्पताल जैसे बुनियादी संस्थानों में स्थायी सुधार होगा। मंत्री राधा कृष्ण किशोर को जनता का भरोसा और समर्थन मिला है, और अब यह उनके कंधों पर है कि वे इस भरोसे को कायम रखें।
दौरे और व्यवस्थागत हकीकत
अस्पताल में मंत्री जी का दौरा कोई नई घटना नहीं है। जब भी कोई मंत्री, सांसद, विधायक, अधिकारी आते है तो अस्पताल प्रबंधन सतर्क हो जाता है। एक-दो दिन तक सब कुछ ठीक दिखता है, लेकिन उसके बाद सब पुराने हाल पर लौट आता है। मंत्री जी का यह दौरा भी व्यवस्था को सुधारने का एक प्रयास है, लेकिन सवाल यह है कि क्या इस बार हालात वाकई बदलेंगे?
एक गंभीर सवाल
क्या अस्पताल केवल वीआईपी दौरे के समय ही स्वच्छ और व्यवस्थित रहेगा? या आम जनता को भी वही सुविधाएं मिलेंगी जिनका वे हकदार हैं? यह सवाल मंत्री जी के लिए भी है और प्रबंधन के लिए भी।
मंत्री जी से उम्मीदें
मंत्री राधा कृष्ण किशोर को स्थानीय मुद्दों की बेहतर समझ है और जनता को उनसे उम्मीद है कि वे केवल आदेश देकर ही नहीं, बल्कि सिस्टम को बेहतर बनाने के लिए ठोस कदम उठाएंगे। अस्पताल जैसे स्थानों पर सुधार केवल निर्देशों से नहीं, बल्कि सख्त निगरानी और पारदर्शी प्रबंधन से ही संभव है।
“स्थायी सुधार के लिए जिम्मेदारी और जवाबदेही जरूरी है। दिखावे के सुधारों से जनता का विश्वास टूटता है। मंत्री जी के प्रयास तभी सफल होंगे, जब प्रबंधन व्यवस्था को आम जनता के लिए भी समान रूप से दुरुस्त रखेगा।” मंत्री जी पर जनता की बड़ी आस है। अब देखने वाली बात यह होगी कि क्या वे इस भरोसे पर खरे उतरते हैं, या यह दौरा भी महज औपचारिकता बनकर रह जाएगा।