रांची (झारखंड)
झारखंड सरकार ने आंदोलनकारियों के लिए बड़ा फैसला लिया है। अब उन्हें एक समान पेंशन के रूप में 10 हजार रुपये प्रति माह दिए जाएंगे। पहले पेंशन की राशि तीन कैटेगरी में दी जाती थी लेकिन अब सभी को समान पेंशन मिलेगी। इसके अलावा जो जेल नहीं गए लेकिन आंदोलन में शामिल रहे उन्हें भी प्रशस्ति पत्र के साथ 1000 से 1500 रुपये तक दिए जाएंगे।
झारखंड आंदोलनकारियों को हेमंत सरकार अब और भी बेहतर सम्मान देने जा रही है। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के निर्देश पर जो संकल्प तैयार हुआ है, उसके अनुसार अब अलग-अलग तीन कैटेगरी में पेंशन की राशि नहीं दी जाएगी, बल्कि एक समान पेंशन दिया जाएगा। जेल जाने वाले आंदोलनकारियों को एक समान पेंशन के रूप में 10 हजार रुपये प्रतिमाह दिया जाना प्रस्तावित है।
अब तक यह पेंशन तीन कैटेगरी में दिया जा रहा है। झारखंड आंदोलन के क्रम में तीन माह तक जेल में रहने वालों के लिए 3500 रुपये प्रति माह, छह माह तक जेल में रहने वालों के लिए 5000 रुपये प्रति माह व छह माह से अधिक समय तक जेल में रहने वालों के लिए 7000 रुपये प्रतिमाह दिया जा रहा है।
राज्य सरकार इसे एक समान करने जा रही है। यानी अब सबको दस हजार रुपये प्रतिमाह मिलेगा। इतना ही नहीं, जो जेल नहीं गए, लेकिन झारखंड आंदोलन में शामिल रहे, उन्हें केवल प्रशस्ति पत्र व सम्मान मिलता था। अब उन्हें प्रशस्ति पत्र के अलावा 1000 से 1500 रुपये तक दिए जाएंगे।
विभागीय मंत्री के पास भेजी गई फाइल
झारखंड आंदोलनकारियों को एक समान पेंशन देने संबंधित फाइल गृह विभाग के विभागीय मंत्री हेमंत सोरेन को भेजी गई है। गृह मंत्री के रूप में हेमंत सोरेन की सहमति के बाद उक्त फाइल कैबिनेट की स्वीकृति के लिए भेजी जाएगी। इसके बाद गृह कारा एवं आपदा प्रबंधन विभाग इससे संबंधित संकल्प जारी करेगा। संकल्प जारी होने की तिथि से नई व्यवस्था के तहत आंदोलनकारियों को सुविधाएं मिलने लगेंगी।
करीब 40 हजार आंदोलनकारी चिह्नित, पेंशन तीन हजार को
अलग झारखंड राज्य की लड़ाई लड़ने वालों को उचित सम्मान देने के लिए पूर्व की अर्जुन मुंडा की सरकार ने 2012 में झारखंड आंदोलनकारी चिह्नितीकरण आयोग का गठन किया था। तब से अब तक करीब 40 हजार आंदोलनकारी चिह्नित किए जा चुके हैं। इनमें से तीन हजार आंदोलनकारियों के जेल जाने के सबूत मिले, जिन्हें पेशन दिया जा रहा है।
भारी संख्या में आंदोलनकारियों से संबंधित आवेदन भी आयोग में लंबित है। अब समीक्षा के बाद मानकों पर खरे उतरने वालों को ही आंदोलनकारी माना जाएगा, जिन्हें सरकार के मानक के अनुरूप लाभ दिया जाएगा।