बिजली मिस्त्रियों की जान पर खतरा: सुरक्षा पर बिजली विभाग की बड़ी लापरवाही

मेदिनीनगर (पलामू)

शहर में बिजली मिस्त्रियों की सुरक्षा के नाम पर बिजली विभाग की लापरवाही खतरनाक स्तर पर पहुंच चुकी है। शनिवार को ही अंबेडकर पार्क के पास एक बिजली मिस्त्री को बिना किसी सुरक्षा उपकरण के बिजली पोल पर चढ़कर काम करते हुए देखा गया। यह घटना विभाग की उदासीनता और मिस्त्रियों की जान के प्रति उनकी लापरवाही का जीता-जागता उदाहरण है।

स्थानीय नागरिकों का कहना है कि विभाग केवल उपभोक्ताओं से बकाया वसूलने और कनेक्शन काटने में तत्परता दिखाता है, लेकिन अपने कर्मियों की सुरक्षा के लिए कोई कदम नहीं उठाता। पहले भी ऐसी घटनाओं में मिस्त्रियों की जान जा चुकी है, लेकिन विभाग इन हादसों से कोई सबक नहीं लेता।

बिजली मिस्त्रियों की सुरक्षा पर सवाल:

  • बिजली के पोल पर चढ़ने के लिए जरूरी सुरक्षा उपकरण, जैसे हेलमेट, सेफ्टी बेल्ट और इंसुलेटेड ग्लव्स क्यों उपलब्ध नहीं कराए जा रहे?
  • क्या विभाग अपने कर्मियों की जान की कीमत समझता है, या उन्हें केवल काम करवाने का साधन मानता है?
  • पिछले हादसों पर कोई ठोस कार्रवाई क्यों नहीं की गई?

बिजली मिस्त्रियों का कहना है कि वे जान जोखिम में डालकर काम इसलिए करते हैं ताकि शहर की बिजली व्यवस्था सुचारू रहे और लोगों के घर-व्यवसाय चलते रहें। इसके बावजूद विभाग उनकी सुरक्षा के प्रति गंभीर नहीं है।

स्थानीय प्रशासन और विभाग से अपील:
बिजली मिस्त्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए तुरंत कदम उठाए जाएं। उन्हें आवश्यक उपकरण, प्रशिक्षण और बीमा जैसी सुविधाएं मुहैया कराई जाएं। यदि विभाग ने जल्द इस दिशा में कार्रवाई नहीं की, तो यह लापरवाही और भी जानलेवा साबित हो सकती है।

बिजली विभाग की यह लापरवाही न केवल कर्मचारियों की जान के लिए खतरा है, बल्कि यह पूरे समाज के प्रति उनकी गैर-जिम्मेदाराना रवैये को भी उजागर करता है। जब घर का लाइट कट जाती है तो लोग परेशान हो जाते हैं कि पंख, ऐसी, मोटर आदि नहीं चल रहा है और बिजली विभाग को कोसने लगते है। पर ऐसे बिजली मिस्त्री जो दिन रात काम में लगे रहते हैं ताकि लोग बिजली के कारण अपना कार्य कर सके, चैन की नींद सो सके उनके लिए भी कुछ सोचने का हक उन उपभोक्ताओं का ही है। अब वक्त आ गया है कि इस गंभीर मुद्दे पर ठोस कार्रवाई की जाए।

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