बीमोड़ विश्रामपुर में दिखा बंदी का असर, किया नारेबाजी

  • सुप्रीम कोर्ट के की ओर से लिए गए फैसले को वापस करने की कर रहे थे मांग
  • आरक्षण बचाओ संघर्ष समिति के बंदी का रहा व्यापक असर,बंद समर्थकों ने तीन घंटे तक किया एनएच जाम

विश्रामपुर (पलामू )

बीमोड़ विश्रामपुर में बुधवार को सुप्रीम कोर्ट की ओर क्रीमी लेयर फैसले को वापस लेने की मांग कर रहे हैं। आरक्षण बचाओ संघर्ष समिति द्वारा घोषित देशव्यापी बंदी का विश्रामपुर प्रखंड में व्यापक असर रहा। बंद समर्थकों ने बी मोड़ के पास गढ़वा -पड़वा मुख्य पथ एनएच 75 को तीन घंटों तक जाम रखा। इस दौरान प्रदर्शनकारियों ने आवश्यक सेवाओं को भी बाधित किया। बंद समर्थकों ने जबरदस्ती दुकानें बंद कराया, इस क्रम में कई दुकानदारों से उनकी झड़प भी हुई। बंदी के चलते गाड़ियों का परिचालन पूरी तरह ठप रहा।‌ हालांकि सरकारी दफ्तर आम दिनों की तरह खुले रहे।‌ बीमोड़ पर सड़क जाम के दौरान सभा भी आयोजित हुई।‌ सभा को पूर्व सांसद घुरन राम,पूर्व सांसद कामेश्वर बैठा,बसपा प्रदेश अध्यक्ष राजन मेहता,जिला पार्षद विजय रविदास,बसपा नेता गोपाल राम,राहुल राज,सुरेंद्र भारती,हरिलाल कुमार रवि,सोना देवी,किशोर कुमार,सूरजमल राम,उपेन्द्र कुमार रवि,वीरेंद्र राम,नरेंद्र राम गुड्डू सहित कई लोगों ने संबोधित किया। इससे पहले मंगलवार को देर शाम बंद समर्थकों द्वारा बसपा नेता गोपाल राम के नेतृत्व में कैंडल मार्च निकाला गया। जिसमे भी काफी संख्या में लोग शामिल हुए थे।
विदित हो कि सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकारों को एससी-एसटी आरक्षण में क्रीमीलेयर बनाने की अनुमति दी है। कोर्ट ने कहा है कि जिन्हें वास्तव में जरूरत है, उनको आरक्षण में प्राथमिकता मिलनी चाहिए। इस फैसले को लेकर देश मे व्यापक बहस छिड़ गई है।‌ भारत बंद करने वाले समर्थक इस फैसले को वापस लेने की मांग कर रहे हैं।
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस बीआर गवई के द्वारा 1 अगस्त को यह टिप्पणी की गई थी कि एस एससी-एसटी में भी क्रीमी लेयर लागू करने पर विचार करना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने 1 अगस्त को 20 साल पुराना अपना ही फैसला पलटते हुए कहा था- राज्य सरकारें अब अनुसूचित जाति, यानी एससी के रिजर्वेशन में कोटे में कोटा दे सकेंगी। अनुसूचित जाति को उसमें शामिल जातियों के आधार पर बांटना संविधान के अनुच्छेद-341 के खिलाफ नहीं है। 7 जजों की बेंच में शामिल जस्टिस बीआर गवई ने कहा था कि राज्यों को अनुसूचित जातियों व अनुसूचित जनजातियों के बीच भी क्रीमी लेयर की पहचान करने और उन्हें आरक्षण का लाभ देने से इनकार करने के लिए एक नीति विकसित करनी चाहिए।

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