मेदिनीनगर (पलामू)
पहली जुलाई से लागू हो रहे तीन नए आपराधिक कानूनो में जांच ,मुकदमे और अदालती कार्यवाही में प्रधौगिकी पर जोर दिया गया है। एक बातें लीगल एड डिफेंस काउंसिल के डिप्टी चीफ संतोष कुमार पांडेय ने कहीं। वे शुक्रवार को केंद्रीय कारा मेदिनीनगर में बन्दियों के बीच तीन नए आपराधिक कानून के बारे में जानकारी दे रहे थे। उन्होंने कहा कि नए कानून के तहत एक व्यक्ति सशरीर पुलिस स्टेशन में उपस्थित हुए बगैर भी इलेक्ट्रॉनिक माध्यमों से घटना के रिपोर्ट कर सकता है ।इससे पुलिस को भी त्वरित कार्रवाई में मदद मिलेगी।उन्होंने कहा कि नए कानून में जीरो एफआईआर की शुरुआत की गई है। पीड़ित किसी भी थाना में अपनी एफ आई आर दर्ज करा सकता है ।पीड़ित को एफ आई आर की निशुल्क कॉपी भी मिलेगी ।उन्होंने कहा कि सशक्त जांच के लिए गंभीर आपराधिक मामलों में सबूत जुटाने के लिए क्राइम सीन पर फॉरेंसिक विशेषज्ञों का जाना अनिवार्य है।उन्होंने कहा कि सबूत एकत्र करने की प्रक्रिया की वीडियो ग्राफी अनिवार्य होगी। साथ ही महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराध में जांच एजेंसी को दो महीने के अंदर जांच पूरी करनी होगी। 90 दिनों के अंदर पीड़ितों को केस में प्रगति की नियमित अपडेट देनी होगी। इस कानून के तहत अपराध के शिकार महिला और बच्चों को सभी अस्पतालों में फर्स्ट एड या इलाज निशुल्क मिलने की गारंटी की गई है। उन्होंने कहा कि गवाहों की सुरक्षा व सहयोग के लिए विट नेस प्रोटेक्शन प्रोग्राम लागू कीए जाने का प्रावधान हैं।उन्होंने कहा कि दुष्कर्म पीड़िताओं को ऑडियो वीडियो माध्यम से पुलिस के समक्ष बयान दर्ज करने की छूट दी गई है। उन्होंने कहा कि 15 साल से कम आयु व 60 साल से अधिक और दिव्यांग और गंभीर रूप से बीमार व्यक्तियों को पुलिस स्टेशन में पेश होने से छूट दी गई है। उन्हें पुलिस की मदद अपने निवास स्थान पर ही मिलेगी। उन्होंने कहा कि भारतीय न्याय संहिता में कौन सा कृत्य अपराध है और उसके लिए क्या सजा होगी आईपीसी कानून में 511 धाराएं थी जबकि नए बीएनएस में 358 धाराएं है। नए कानून में 21 नए अपराधों को भी सम्मिलित किया गया है ।सीआरपीसी में 484 धाराएं थी जबकि भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता में 531 धाराएं हैं ।नए कानून में सीआरपीसी की 177 धाराओ को बदल गया है और 9 नई धाराएं जोड़ी गई है ।नए कानून में 14 धाराओं समाप्त की गई है । उन्होंने कहा कि गिरफ्तारी जांच और मुकदमा चलाने की प्रक्रिया सीआरपीसी में होती है ।उन्होंने कहा कि भारतीय साक्ष्य अधिनियम के तहत 170 धाराएं हैं। जबकि पूर्ब में इसमें 166 धाराएंहै। मुकदमे के सबूत कैसे साबित किया जाएगा बयान कैसे दर्द होंगे यह सब भारतीय साक्ष्य अधिनियम के तहत 170 धाराओं के तहत होगा। नए कानून में 24 धाराओं में बदलाव किया गया है ।और दो नई धाराएं साक्ष्य अधिनियम में भी जोड़ी गई है ।नए कानून में पुरानी छह धाराएं को समाप्त भी कर दिया गया हैं। उन्होंने कहा कि नए कानून में नाबालिक से दुष्कर्म करने के दोषियों को अब फांसी की सजा दी जा सकेगी ।गैंग रेप के मामले में 20 साल की कैद या आजीवन कारावास की सजा का प्रावधान किया गया है। इसके अलावा नाबालिक के साथ गैंगरेप को नए अपराध की श्रेणी में रखा गया है ।उन्होंने कहा कि नए कानून में आतंकवादी कृत्य जो पहले गैर कानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम जैसे खास कानूनों का हिस्सा थे इसे अब भारतीय न्याय संहिता में शामिल किया गया है ।नए कानून के तहत जो भी ब्यक्ति देश को नुकसान पहुंचाने के लिए डायनामाइट या जहरीले गैस या खतरनाक पदार्थ का इस्तेमाल करते हैं उन्हें आतंकवादी माना जाएगा। उन्होंने कहा कि नए कानून में मॉब लीचिंग यानी जब पांच या इससे अधिक लोगों का एक समूह मिलकर जाति या समुदाय आदि के आधार पर हत्या करता है तो ग्रुप के हर सदस्य को आजीवन कारावास की सजा दिए जाने का प्रावधान हैं। उन्होंने कहा कि हमसभी कानून से बंधे है।व कानून का सम्मान करना हमसबो को नैतिक जिमेवारी है।इस मौके एल ए डी सी के असिस्टेंट पर वीर बिक्रम वक्स राय ने कहा कि जो सज़ावार बन्दी अबतक किसी कारण वश अपील नही कर पाए है।उनका अपील डालसा के माध्यम से कराया जाएगा।उन्होंने कहा कि अपील के लिए बन्दियों को चिन्हित कर लिया गया हैं।व वैसे सज़ावार बन्दी का जल्द अपील होगा।उन्होंने कहा कि कोई भी बन्दी बिना वकील के नही रहेगा।डालसा के माध्यम से सभो को मुफ्त वकील मुहैया कराया जा रहा है।इस मौके पर पीएलभी वे दर्जनों बन्दी उपस्थित थे।