मेदिनीनगर (पलामू)
तप रही है धरती, सूरज आग उगल रहा है। गर्मी से लोगों का हाल-बेहाल है। तापमान की बात करें तो इस वर्ष 2024 में पलामू जिले की गर्मी ने 46 साल का रिकॉर्ड तोड़ा है। पलामू का तापमान पिछले बुधवार को 47.8 डिग्री सेल्सियस रिकार्ड हुआ। यहां बढ़ती गर्मी चिंता का विषय माना जा रहा है। इसका मुख्य कारण घटते वन क्षेत्र को बताया जा रहा है। वहीं बढ़ती आबादी और माइनिंग भी मुख्य रूप से सामने आए हैं। शहर के पुराने लोग बताते हैं कि भले ही लोग पलामू को महुआ और पलाश से जोड़कर इसका नामकरण बताते हैं पर सच्चाई यह है कि पलामू में जब शरद ऋतु आती थी तो पाला अधिक पड़ता था। इस कारण भी यहां का नाम पलामू पड़ा है ,लेकिन तब और अब में आसमान – जमीन का अंतर आ गया है। अब ठंड कम पड़ती है और वर्षा भी काम हो रही है। ऐसे में गर्मी का रिकॉर्ड टुटना लाज़मी है। अब समय आ गया है कि लोग विकल्प पर ध्यान दें।
बताते चलें तो पलामू जिला कर्क रेखा के नीचे आता है. इस कारण यहां ब्लैक सैडो जोन बनता है. इससे पलामू में गर्मी और ठंड बहुत अधिक पड़ती है, लेकिन पिछले कुछ वर्षों से यहां का तापमान तेजी से बढ़ रहा है। शरद ऋतु में ठंड कम पड़ रही है। बरसात के मौसम में वर्षा नदारत है।इसके लिए माइनिंग बड़ा कारण है. पलामू में पहले 33% वन थे, वो घटकर 15 से 16% पर आ गए हैं. वहीं इंसानों की आबादी दस गुना बढ़ गई. ऐसे में पलामू में जलवायु परिवर्तन देखा जा रहा है. पलामू में लगातार तापमान में बढ़ोतरी होना एक चुनौती है. इसके लिए सरकार को ही नहीं, बल्कि लोगों को भी आगे बढ़कर काम करने की जरूरत है।