खामोश है मतदाता बोलने से कर रहे हैं परहेज , नेताजी , मीडिया से भी रह रहे हैं दुर

बरवाडीह (लातेहार) :

चतरा लोकसभा क्षेत्र में अन्य को छोड़ कर खास कर दो राष्ट्रीय पार्टियां भाजपा और इंडिया गठबंधन का ध्यान ग्रामीण क्षेत्रों के मतदाताओं पर है। प्रचार अभियान का केंद्र भी ग्रामीण इलाके हैं। इसकी वजह यहां की 75 फीसदी आबादी ग्रामीण इलाकों में रहती है। सभी दलों ने अब गांवों की ओर अपना रुख कर लिया है। दूसरे चरण में 20 मई को चतरा लोकसभा सीट पर मतदान होगा। अपनी उम्मीदवारों की सरकार चुनने के लिए ग्रामीण मतदाता हमेशा सचेत रहा है और वह शहरी के मुकाबले मतदान केंद्रों पर लंबी कतारें लगाता है। राजनीतिक दल और उनके प्रत्यासी भी इस स्थिति को अच्छे से समझते हैं। इस बार चुनावी माहौल ऐसा है कि गांवों में लंबी चौपालें लग रही हैं।

सोच-समझकर वोट देने की हो रही है चर्चा ,चौक चौराहों पर

गांव में चौक चौराहों पर चौपाल लग रही है युवा बेरोजगार किसान ग्रामीण जनता ,चौपाल लगाकर वोट देने की बात कर रहे हैं कि किससे वोट दें कि हमारे गांव के मुल भुत सुविधा सड़क बिजली नाली गली पानी इंदिरा आवास वृद्धा पेंशन मुहैया हो सके
75 फीसदी आबादी ग्रामीण वोटरों की संजीदगी को भांपते हुए प्रत्यासीयो ने गांवों की दौड़ लगा दी है। ग्रामीणों की देहरी पर नतमस्तक हो के नेता एक बार खुद को आजमाने का निवेदन कर रहे हैं। चुनावी माहौल में मतदाता ही भगवान और भाग्य विधाता है। सभी दलों का रुख गांवों की ओर यह बात राजनीतिक दल अच्छे से जानते और समझते हैं। इसी को देखते हुए इस समय भाजपा, कांग्रेस समेत सभी क्षेत्रीय राजनीतिक दलों के प्रत्याशियों का रुख गांवों की ओर है। वहीं इस चुनावी माहौल में भाजपा नेता, प्रत्याशी और कांग्रेस के प्रत्याशी और इनके कार्यकर्ता भी ग्रामीण मतदाताओं को रिझाने के लिए हर विद्या का इस्तेमाल कर रहे हैं। वही दोनों दलों के प्रत्याशी मीडिया से दूर भाग रहे है, जो लोकतंत्र के लिए गंभीर चुनौती है? इतना ही नहीं, विरोधी दल के कार्यकर्ताओं को जैसे भी हो अपनी पार्टी में शामिल करने के लिए ऐड़ी चोटी का जोर लगा रहे हैं। चूंकि चतरा लोकसभा क्षेत्र के सभी पांच विधानसभा क्षेत्र मे ग्रामीण सुदूरवर्ती इलाके अधिक हैं। चतरा लोकसभा क्षेत्र में अभी भी ऐसे मतदाताओं से भरा पूरा है और यह झारखंड छत्तीसगढ़ और बिहार के सीमावर्ती गांवों में चल रही चुनावी हवा वर्तमान में इन चतरा लोकसभा सीटों पर शहरों की अपेक्षा गांवों में चुनावी हवा अधिक चल रही है। इस बार मतदाता कुछ भी बोलने से कर रहे हैं परहेज किस पार्टी को देंगे अपना समर्थन खुलकर नहीं आ रहे हैं सामने मतदाताओं की यह खामोशी यह खामोशी क्या कर दिखाती है। चतरा लोकसभा से 22 प्रत्याशी उतरे हैं मैदान में अपनी किस्मत को आजमाने सभी अपने-अपने लुभाने वादों से ग्रामीण वोटर को रिझाने की कर रहे हैं कोशिश भाजपा के उम्मीदवार कालीचरण सिंह और इंडिया गठबंधन से केएन त्रिपाठी को विभिन्न क्षेत्रों में वोट मांगते देखे गए।

चतरा लोकसभा क्षेत्र के के गांवों में सड़क, पानी, बिजली पलायन रोजगार जैसे मुद्दे अभी अहम है।

वहीं बरवाडीह प्रखंड गारू प्रखंड महुआडाड जैसे प्रखंड गांवों में सड़क, पानी, बिजली पलायन जैसे मुद्दे अभी अहम हैं। पर उससे भी हम है बरवाडीह मंडल डैम का जिर्णोद्धार होना क्यों कि इसके जीर्णोधार होने से ग्रामीण किसानों को खेती करने में आसानी होगी। उन्हे रोजगार के लिए पलायन नही करना पड़ेगा। वही ग्रामीण क्षेत्रो मे बेरोजगारी का बड़ा मुद्दा है। पर सभी राजनितिक दलों के नेता इस समय वोट मांग रहे है। वोट उसी को देंगे जो समस्याओ का समाधान करेगा।

अर्जुन विश्वकर्मा की रिपोर्ट

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