मेदिनीनगर (पलामू)
डी आर डी ए के सभागार में रविवार को जिला स्तरीय मल्टी स्टेक होल्डर्स कॉन्सुल्टेशन एवं मोटर एक्सीडेंट क्लेम ट्रिब्यूनल एम ए सी टी पर कार्यशाला का आयोजन किया गया।पंचम जिला व अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अभिमन्यु कुमार ,चतुर्थ जिला व अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश प्रेमनाथ पाण्डेय,जिला विधिक सेवा प्राधिकार के सचिव अर्पित श्रीवास्तव, ए एसपी राकेश कुमार मुख्य रूप से उपस्थित थे।इस मौके पर अभिमन्यु कुमार ने कहा कि। लॉ रोज डे टू डे डेबलप कर रहा है।पुलिस का यह दायित्व हैं कि अपराध के दोषी को सजा दिलाने के साथ साथ क्षतिपूर्ति भी दिलाए।उन्होंने कहा कि दुर्धटना अचानक आनेवाली विपदा है।पुलिस अधिकारी को यह ड्यूटी हैं कि वह गाड़ी चालक का लाइसेंस, इन्सुरेंस परमिट,आदि का मांग कर सकता हैं।एम भी एक्ट के सेक्शन 158 में यह प्रावधान है।उन्होंने कहा कि पुलिस को एक्सीडेंट इन्फॉर्मेशन रिपोर्ट तैयार करना पड़ता है साथ ही उसे तीन महीने के अंदर दाखिल करना होता हैं।उन्होंने कहा कि सड़क दुर्घटना में घायलों को चिकित्सीय सुविधा पहुँचाने एवं मृतकों के परिजनों को मुआवजा राशि भुगतान आदि पूरी प्रक्रिया में पुलिस व चिकित्सा पदाधिकारीयो की अहम भूमिका है।ऐसे मामले में पुलिस को बिना बिलम्ब किये अनुसंधान में त्वरित करवाई करनी चाहिए।चिकित्सा पदाधिकारी को भी डिटेल् एक्सीडेंट रिपोर्ट पोस्टमार्टम रिपोर्ट सम्बंधित अनुसंधान पदाधिकारी को समर्पित करना चाहिए।ताकि दुर्धटना में मौत के बाद मृतक के परिजनों को ससमय मुवावजा राशि का भुगतान किया जा सके।उन्होंने कहा कि पुलिस को जाँच रिपोर्ट निर्धारित समय सीमा के अंदर सारे दस्तावेज सम्बन्धित न्यायालय को सौंपना अनिवार्य है।क्योंकि त्वरित न्याय प्रक्रिया शुरू कर पीड़ित परिवार को न्याय दिलाया जा सके। उन्होंने कहा कि सड़क दुर्घटना में 30 दिनों के अन्दर पुलिस को दुर्घटना से सम्बंधित कागजात न्यायालय में प्रस्तुत करना पड़ता हैं।ऐसा नही होने पर कोर्ट को सूचित करना आवश्यक है। उन्होंने आगे कहा कि दुर्घटना में घायल की मदद करने वालो को पुलिस पूछताछ नही करेगी। साथ ही घायल को अस्पताल पहुँचाने वालो को पुलिस उससे पूछताछ या गवाही में नाम नही डाल सकती हैं। उन्होंने कहा कि अभी भी लोगो मे जागरूकता का आभाव हैं। दुर्धटना मृत परिवार के सदस्य जानकारी के आभाव में दुर्धटना मुआवजा ले नही पाते। उन्होंने कहा कि इसके लिए जितना अधिक से अधिक प्रचार प्रसार होगा लोगो को लाभ मिलेगा।कार्य शाला में पोस्को कोर्ट के स्पेशल जज प्रेमनाथ नाथ पांडेय ने लैंगिग अपराधों से बालको का संरक्षण के बारे में चर्चा करते हुए कहा कि 18 साल से कम उम्र वाले बालक की श्रेणी में आते हैं।उन्होंने कहा कि बालक का उम्र निर्धारण करने के लिए चार चीज देखना जरूरी है।उन्होंने कहा कि सबसे पहले बालक की प्रारंभिक शिक्षा किस स्कूल से हुआ है ।तथा स्कुल के रजिस्टर में उसका उम्र कितना दर्ज हैं।इसके बाद हाई स्कूल सर्टिफिकेट में उम्र कितना है।यह दोनों उपलब्ध नही है तब पंचायत इस नगरनिगम से निर्गत जन्म प्रमाण पत्र से भी उम्र निर्धारण किया जाता है ।जब ये सब भी उपलब्ध नही है तो मेडिकल बोर्ड से निर्गत प्रमाण पत्र से भी उम्र निर्धारण किया जाता है।मेडिकल से उम्र का एक्यूरेट उम्र का निर्धारण डॉक्टर नही करते वे सिर्फ रेंज बताते हैं।ज्यादातर 17 से 19 बर्ष बताया जाता है।इस मौके पर जिला बिधिक सेवा प्राधिकार के सचिव अर्पित श्रीवास्तव, ने कहा कि एम ए सी टी केस में 50 दिन के अंदर आई ए आर दाखिल करना जरूरी है। उन्होंने कहा कि हिट एंड रन के केस में इंजुरी होने पर 50 हजार रुपया व मृत्यु होने पर दो लाख रुपये क्षतिपूर्ति देने का प्रावधान हैं।इस मौके अधिवक्ता नर्मदेश्वर प्रसाद जयसवाल ने भी एम भी एक्ट से जुड़े कई कानून के बारे में विस्तार से चर्चा की। कार्यशाला में पुलिस अधिकारी, इन्सुरेंस कम्पनी के अधिवक्ता, लीगल एड डिफेंस काउंसिल के डिप्टी चीफ संतोष कुमार पांडेय , सी डब्लू सी के चेयरपर्सन प्रणव कुमार वरेण्यं, जिला बाल संरक्षण पदाधिकारी प्रकाश कुमार, संप्रेक्षण गृह पलामू के अधीक्षक आर्यन प्रसाद,अधिवक्ता संजय कुमार पांडेय, सुरेंद्र कुमार शुक्ल, विक्रम सहाय,पुष्कर राज,के अलावे जिले के सभी थाने के पुलिस पदाधिकारी भाग लिए।