समूह से जुड़कर पलामू की महिलाओं ने खड़ा किया स्वरोजगार, बन रही आत्मनिर्भर

कभी पति के आय पर थी निर्भर, अब कहला रहीं लखपति दीदी

समूह से लोन लेकर रोजगार गढ़ रही महिलाएं

हुसैनाबाद (पलामू)

कभी घर की देहरी के अंदर रह रही महिलाएं आज स्वावलंबन की राह पर चल पड़ी हैं। महिला स्वयं सहायता समूह से जुड़कर महिलाएं न केवल स्वरोजगार से जुड़ रही हैं, बल्कि उनमें आत्मविश्वास जगा है। भीड़ के बीच अपनी बातों को रखने में वे काबिल हुई हैं। समूह से जुड़ी महिलाएं खुद तो आत्मनिर्भर हो रहीं हैं, दूसरों के लिए भी प्रेरणास्रोत बनीं हैं। दूसरे महिलाओं को भी समूह से जोड़कर स्वरोजगार के लिए प्रेषित कर रही हैं। मेहनत और लगन के बदौलत महिलाएं पुरुषों के साथ कंधा-से-कंधा मिलाकर चल रही हैं। चंद पैसों के लिए अपने पति व परिवार पर निर्भर महिलाएं आर्थिक रूप से संपन्नता की ओर अग्रसर हैं। लाख रूपये ज्यादा तक की वार्षिक आय कर रहीं हैं। समूह से लोन लेकर स्वरोजगार का अलग-अलग व्यवस्थाएं करने में जुटी हैं। पशुपालन से लेकर कृषि कार्य में इनकी भागीदारी बढ़ी है। कई महिलाएं सिलाई केंद्र खोलकर कपड़ों की सिलाई कर न केवल अपनी, बल्कि पूरे परिवार का जीविकोपार्जन कर रहीं हैं, तो कई महिलाएं आटा चक्की चलाकर, बंबुक्राफ्ट का निर्माण कार्य से जुड़कर एवं अन्य आकर्षक एवं सजावटी सामग्री का निर्माण कर आर्थिक आमदनी करने में जुटी हैं। कई महिलाएं तो होटल व किराना दुकान का संचालन कर थोड़े-थोड़े बचत का सहारा लेकर घर-परिवार के लोगों को आर्थिक मदद कर रहीं हैं। इससे उनका घर परिवार आर्थिक रूप से सशक्त हो रहा है।

1600 से अधिक गांवों में 18 हजार से अधिक सखी मंडल

झारखंड स्टेट लाइवलीहुड प्रमोशन सोसाइटी (जेएसएलपीएस) की डीपीएम शांति मार्डी ने बताया कि पलामू जिले में जेएसएलपीएस द्वारा संचालित राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन कार्यक्रम के तहत 1657 गांवों में 18,470 सखी मंडल, 1310 ग्राम संगठन एवं 60 संकूल संगठन का गठन किया गया है, जिससे 2 लाख 12 हजार 350 परिवार लाभान्वित हो रहे हैं। 17,905 सखी मंडल सहित ग्राम संगठन एवं संकुल संगठन को चक्रीय निधि के रूप में 27.26 करोड़, सामुदायिक निवेश निधि के रूप में 92.89 करोड़ तथा स्थापना निधि के रूप में 4.47 करोड़ का अनुदान दिया गया है। 259.47 करोड़ का क्रेडिट लिंकेज किया गया है। आजीविका संवर्धन हेतु 16,659 सखी मंडल को प्रथम बैंक ऋण के रूप में 166.5 करोड़ की राशि प्रदान की गई है। साथ ही अतिरिक्त ऋण के रूप में 12 हजार 19 सखी मंगल को 324.3 करोड़ की राशि प्रदान की गई है, जिससे स्वयं सहायता समूह की महिलाएं अपनी आजीविका को सशक्त एवं समृद्ध बना रहीं हैं।

श्रृंगार दुकान और CSC से 40 हजार तक आमदनी कर रहीं सूर्य कांति

हुसैनाबाद प्रखंड की सूर्य कांति देवी श्रृंगार दुकान और CSC से 12 से 15 हजार रूपये प्रति माह आमदनी करतीं हैं। लगन/शादी-विवाह के समय उनकी आमदनी 30 से 40 हजार रूपये तक हो जाती है। सूर्य कांति देवी शिवम सखी मंडल से जुड़ी हैं। इसके पूर्व वह पति के साथ गुजरात में रहती थी। सूर्य कांति देवी के पति वहीं पर काम करते थे। करोना काल में कुछ करने की सोच आया तब 2021 में CSC खोल कर चलाने लगी, परंतु इससे संतोषजनक आमदनी नहीं होती थी। इसके बाद उन्होंने श्रृंगार दुकान खोलने के लिए समूह से 2022 में एक लाख 20 हजार रुपये लोन लेकर श्रृंगार का दुकान खोल दी। कांति ने बताया कि एक समय वह पति के आमदनी के भरोसे थी, लेकिन आज उनके साथ कदम- से- कदम मिलाकर चल रही हैं।

रीता देवी सब्जी बेच 20 हजार रुपये तक कर रहीं कमाई

हुसैनाबाद प्रखंड के दंगवार गांव की रीता देवी सब्जी बेचकर 15 से 20 हजार रूपये प्रतिमाह आमदनी कर रहीं हैं। रीता वर्ष 2018 में पार्वती सखी मंडल से जुड़ी हैं । समूह से जुड़ने के पूर्व वें गृहिणी थी। समूह से जुड़कर वह ऋण लेकर कृषि कार्य में जुट गई। खेत में बैगन, फूल गोभी तथा लहसुन की खेती की है, जो अगले माह तक तैयार होगी। रीता ने बताया कि ऑफ सीजन में भी वह सब्जी का उत्पादन करती है। इससे अधिक मुनाफा होता है। पिछले सीजन में करीब एक लाख रूपये तक की बिक्री की थी। इससे 25 से 30 हजार रूपये का फायदा हुआ था। उन्होंने इस वर्ष की खूबसूरत खेती को देख अधिक-से-अधिक मुनाफा की उम्मीद की है। रीता ने बताया कि खेत में लगे फूल गोभी शादी/विवाह के सीजन में तैयार होगा। इस समय 40 से 50 रूपये किलो तक की बिक्री होगी, जिससे अधिक मुनाफा होगा। उन्होंने यह भी बताया कि उनकी कृषि उत्पाद खेत से ही बिक जाती है। बाजार जाने की आवश्यकता नहीं होती, बल्कि व्यापारी यहां आकर सब्जी ले जाते हैं।

कपड़ा दुकान से होती लाख रूपये की आमदनी

दंगवार गांव की ही शोभा देवी क्षेत्र में अपने बदौलत पहचान बनाई है। वर्ष 2018 में जब पलाश (JSLSP) के द्वारा समूह का निर्माण हो रहा था तब वह विश्वकर्मा समूह से जुड़ी। समूह से जुड़ने के बाद उसे कुछ करने का ख्याल आया। अपने पैरों पर खड़ा होने की चाहत रखते हुए शोभा ने 20 हजार रूपये लोन लिया और अपने घर में कपड़े का दुकान खोल ली। दुकान में आमदनी बढ़ी तो इसे विस्तारित करने के लिए समूह से 2020 में 1 लाख रूपये एवं बैंक से भी ऋण लेकर अपनी दुकान का विस्तारित किया। 2022 में समूह से 1.5 लाख रूपये लेकर दुकान को और विस्तारित किया। आज वह प्रति माह एक लाख रूपये से अधिक की आमदनी कर रहीं हैं। इस कार्य में उनके पति का भी भरपूर सहयोग रहता है। दोनों मिलकर दुकान का संचालन करते हैं।‌ इनके दो बच्चे हैं, जो स्कूली शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं।

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