मिलकर करना होगा काले कानून का विरोध ..अरुणा शंकर

नया लीज दर लागू होने से कई होंगे बेघर

मेदिनीनगर (पलामू)

प्रथम महापौर अरुणा शंकर ने पलामू उपयुक्त के द्वारा भेजे गए लीज नवीकरण हेतु भूमि दर बढ़ाने के प्रस्ताव के आलोक में झारखंड सरकार द्वारा अनुमति दिए जाने का पुरजोर विरोध करते हुए कहीं प्रशासन एवं सरकार लीजधारीयो के साथ मनमानी कर रही l एक तरफ सरकार 20 वर्षों से केवल नए-नए नियमों का नोटिफिकेशन पर नोटिफिकेशन कर रहा तो दूसरी तरफ जिला प्रशासन लीजभूमि दर पर दर बढ़iते जा रही जिससे लीजधारी लीज कराने में असमर्थ होते चले जा रहे l प्रथम महापौर ने कहा मैं भी पिछले वर्ष परामर्शदात्री समिति की बैठक में थी और मैंने दर बढ़ाने के मुद्दे का पुरजोर विरोध करते हुए अध्यक्षता कर रहे उपायुक्त पलामू को कहा था माननीय जब पुराने दर पर ही 1896 लीजधारीयो मे मात्र 46 लीज धारीयो ने अब तक लीज नवीकरण कराया तो क्या लीज दर और भी बढ़ा देने से लीजधारी लीज नवीनीकरण करा पाएंगे ? मैंने समिति का प्रस्ताव को ठुकराते हुए सिग्नेचर तक नहीं की जिसे आज भी फाइल में देखा जा सकता, मुझे बाद में हस्ताक्षर करने हेतु दबाव भी दिया गया लेकिन मैंने जनहित को ध्यान में रखते हुए मना कर दिया l प्रथम महापौर ने कहा जब हमारा शहर बसाना था तब सरकार ने ₹2/4 रुपया रेंट और हर नवीकरण पर रेंट दुगना करने की शर्त साथ ही बिना उपायुक्त के अनुमति लीज भूमि का स्वरूप बदलने पर ₹250 रुपया फाइल का प्रावधान करते हुए लीजधारीयो के साथ रजिस्टर्ड एग्रीमेंट कर शहर को बसाया बाद में जब सारा शहर बस गया लोगों ने उस भूमि पर क्षमता के अनुसार लाखों ,करोड़ों रुपया लगा दिए तब अचानक बिना लीजधारीयो के सहमति के अपने रजिस्टर्ड एग्रीमेंट को तोड़ते हुए सलामी के साथ कई शर्त लगाते हुए लंबा चौड़ा लीज दर का निर्धारण कर दिया गया और यही लीज दर एवं भूमि दर बढ़ाते बढ़ाते इतना कर दिया गया जितने में लोग आज काके रोड रांची में केवाला पर भूमि खरीद सकते l प्रथम महापौर ने कहा हद तो तब है जब लीजधारी जिनका लीज 5/10 साल पहले खत्म हुआ और समय पर उन्होंने लीज नवीकरण के सभी प्रावधानों को पूरा करते हुए ससमय अप्लाई भी किया उसके उपरांत खास महल पदाधिकारी द्वारा भेजी गई सहमति पत्र पर सहमति भी दी गई लेकिन आज तक नवीनीकरण नहीं किया गया ,वर्षों से फाइल पड़ा है अगर उस वक्त लीज किया जाता तो उस वक्त के लीज प्रावधान के तहत उस वक्त के भूमि दर पर लीज हो जाता जो काफी सस्ता पड़ता लेकिन सरकार को अब आज के दर से और आज के जटिल कानून के साथ 20 वर्ष पुराना किराया और बिना किसी कानून उल्लंघन के फाइन चाहिए यह कहां का कानून है ? प्रथम महापौर ने कहा हम सभी लीज धारीयो को एक होना होगा और इस काले कानून का जमकर विरोध करना होगा l सबो की सहमति बनी तो माननीय उच्च न्यायालय का शरण भी लेना पड़ेगा तभी इस काले कानून से छुटकारा होगा वरना कई लोगों को जमीन से हाथ धोना पड़ सकता है l प्रथम महापौर ने कहा लीज भूमि का अधिकांश भाग सरकारी उपयोग, रोड, सरकारी भवन, वन विभाग, अस्पताल ,तालाब, मैदान मैं उपयोग हो रहा मात्र 25% भूमि डेढ़ सौ एकड़ के लगभग आम नागरिक उपयोग कर रहे फिर भी सरकार सहानुभूति पूर्वक विचार नहीं करते हुए दर पर दर बढ़ा रही जबकि देश में 90% राज्य ने इस काले कानून को खत्म कर दिया l

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