सचिदानंद त्रिपाठी की 37 वी पुण्यतिथि मनाई गई 12 अधिवक्ता हुए सम्मानित

मेदिनीनगर (पलामू)

व्यक्ति की पहचान उसके गुणों से होती हैं।हमसभी को सचिदानंद त्रिपाठी के गुणों से सीख लेने की जरूरत है।उक्त बातें पलामू के प्रधान जिला व सत्र न्यायाधीश नीरज कुमार श्रीवास्तव ने कही।वे शुक्रवार को भूतपूर्व विधायक व वरिष्ठ अधिवक्ता सचिदानंद त्रिपाठी के 37वीं पुण्यतिथि व अधिवक्ता सम्मान समारोह में बतौर मुख्य अतिथि के रूप में अपना बिचार ब्यक्त कर रहे थे। बिदित हो कि स्वर्गीय सचिदानंद त्रिपाठी का पुण्यतिथि सह अधिवक्ता सम्मान समारोह का आयोजन 8 मार्च को अधिवक्ता संघ भवन में किया गया था। स्वर्गीय सचिदानंद त्रिपाठी के नाती संयोजक अधिवक्ता शशि भूषण दुबे ने कार्यक्रम का आयोजन किया था।कार्यक्रम की शुरुआत प्रधान जिला व सत्र न्यायाधीश नीरज कुमार श्रीवास्तव ने सचिदानंद त्रिपाठी के चित्र पर माल्यार्पण कर व द्वीप प्रज्ज्वलित कर किया। कलाकारो द्वारा सबसे पहले गणेश बन्दना गाकर कार्यक्रम की शुरुआत हुई।घर मे पधारो गजानंद जी मेरे घर मे पधारो भजन पर स्रोता झूम उठे।इस मौके पर कार्यक्रम में पधारे अतिथियों को शॉल ओढ़ाकर व अयोध्या में स्थित राम मंदिर में बिराजमान राम दरवार का फोटो भेट किया गया।इस ।मौके पर कार्यक्रम का संचालन दिवाकर दुबे अधिवक्ता ने किया।मौके पर कुटुम्ब न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश मार्तंड प्रताप मिश्रा ने कहा कि मनुष्य अगर जीवन मे सरल बन जाय व सेवा की भावना जागृत हो जाय तो इससे समाज को काफी लाभ मिलता हैं।स्वर्गीय सचिदानंद त्रिपाठी ने कभी पैसे की अहमियत नही दिया बल्कि कार्य को प्राथमिकता दिया ।यही बजह हैं कि आज उनका भरपाई करना मुश्किल है।इस मौके पर जीपी अखिलेश्वर प्रसाद ने कहा कि सचिदानंद त्रिपाठी काफी टैलेंटेड ब्यक्ति थे।वाक कटुता के धनी तो थे ही वे किसके साथ कैसा ब्यवहार करना है इसमें भी उनको महारथ हासिल था।वे अपने जूनियर को बराबर नई शिक्षा देते थे।बरिष्ट अधिवक्ता हीरा सिंह ने कहा कि वे इतना बिद्वान थे कि उनको गोल्ड मेडल भी मिला था।राजेश्वर पाण्डे य ने कहा कि स्वर्गीय त्रिपाठी काफी मेहनती वकील थे।वे सहज,सरल स्वभाव के ब्यक्ति थे।इसलिए हर काम मे वे सफलता अर्जित कर लेते थे।कार्यक्रम के संयोजक शशि भूषण दुबे ने कहा कि स्वर्गीय त्रिपाठी नाना का जन्म 1925 में हुआ था।1950 से बकालत शुरू किए व महज 62 बर्ष की आयु मे 8 मार्च 1987 को हमलोग को छोड़ परलोक चले गए।उन्होंने कहा कि वे प्रतिदिन एक जजमेंट पढ़ने की सलाह जूनियर अधिवक्ता को देते थे।साथ ही समय के बेहद पावंद थे।वे 1962 से 1967 तक संयुक्त विहार में डालटनगंज विधानसभा का प्रतिनिधित्व किये।इस मौके ट्रस्ट के अध्यक्ष ध्रुव शंकर दुबे,पर डीजे अभिमन्यु कुमार, प्रेमनाथ पांडेय, आयशा खान,संजय सिंह यादव,संदीप निशित बारा,परमानंद उपाध्याय, शिखा अग्रवाल,अमित गुप्ता, सतीश कुमार मुंडा,चन्दन गोस्वामी,एल ए डी सी के डिप्टी चीफ संतोष कुमार पांडेय, अधिवक्ता बलराम तिवारी,रामदेव यादव रवि भूषण दुबे,,बैकुंठ दुबे,हुसैन वारिश,मंधारी दुबे,विनोद तिवारी,लक्ष्मण सिंह,अनुज त्रिपाठी, राजदीप मिश्र, जय किशोर पाठक,राणा मनोज सिंह, अमित तिवारी राहुल सत्यार्थी,लल्लू प्रसाद सिंह, संतोष तिवारी,मो जावेद,बरुन कुमार सिंह,,समेत दर्जनों लोग उपस्थित थे।कार्यक्रम के दौरान 12 अधिवक्ता सम्मानित।सचिदानंद त्रिपाठी के 37 वी पुण्य तिथि पर जिले के 12 अधिवक्ता कोमाल्यार्पण कर शॉल ओढ़ाकर व प्रतीक चिन्ह भेटकर सम्मानित किया गया।सम्मानित होने वाले अधिवक्ता में हीरा सिंह, कृष्णा प्रसाद,राजेश्वर पाण्डेय,ठाकुर महाराणा प्रताप सिंह नर्मदेश्वर प्रसाद जयसवाल, संतोष कुमार दुबे,सुबोध कुमार सिन्हा, अजय कुमार सिंह, अंजनी कुमार पाठक,शिव कुमार तिवारी,शलभ कुमार, गाजी शहनवाज हसन,शामिल है।धन्यवाद ज्ञापन ने किया।

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