मेदिनीनगर (पलामू )
रिमांड व जमानत न्याय शास्त्र के प्रमुख मुददे पर रविवार को पलामू जिला अंतर्गत गवर्नमेंट इंजीनियरिंग कॉलेज लेस्लीगंज के सभागार में क्षेत्रीय सम्मेलन का आयोजन किया गया।जिसका उदघाटन बतौर मुख्य अतिथि झारखंड उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति रत्नाकर भेंगरा, न्यायमूर्ति अनिल कुमार चौधरी,न्यायिक अकादमी के डायरेक्टर सुधांशु कुमार शशि, पलामू के प्रधान जिला व सत्र न्यायाधीश नीरज कुमार श्रीवास्तव, पलामू के उपायुक्त शशि रंजन के द्वारा द्वीप प्रज्ज्वलित कर किया।न्यायिक अकादमी झारखंड के सहयोग से पलामू,गढ़वा व लातेहार न्याय मंडल की और से इस क्षेत्रीय सम्मेलन का आयोजन किया गया था।सम्मेलन में गढ़वा के प्रधान जिला व सत्र न्यायाधीश राजेश शरण सिंह ,व लातेहार के प्रधान जिला व सत्र न्यायाधीश अखिल कुमार ,न्यायिक पदाधिकारी, मजिस्ट्रेट, पलामू के आई जी राज कुमार लकड़ा,, पुलिस अधीक्षक रेशमा रमेशन, अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष रामदेव प्रसाद यादव आदि मौजूद थे। इस मौके पर मंचासीन अतिथियों को बुके देकर स्वागत किया गया।बी एन एस लॉ कॉलेज के छत्राओ द्वारा अतिथियों को सरस्वती बन्दना गाकर स्वागत किया।साथ ही अतिथियों को पलामू न्याय मण्डल की और से स्मृति चिन्ह भेंट किया गया।इस मौके पर झारखंड उच्च न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति रत्नाकर भेंगरा ने कहा कि पुलिस और मजिस्ट्रेट सुरक्षा उपायों का पालन करें ।उन्होंने कहा कि माननीय सुप्रीम कोर्ट के द्वारा गिरफ्तारी के तरीके पर लगातार आदेश जारी किया है। निर्णय में इन सुरक्षा उपायों का अनुपालन सुनिश्चित करने में मजिस्ट्रेट के कर्तव्य का उल्लेख किया गया है। बार-बार सुरक्षा उपाय निर्धारित किया गया है ।जिनका पुलिस और मजिस्ट्रेट को पालन करना चाहिए ।उन्होंने कहा कि गिरफ्तारी की कठोर शक्ति का सहारा लेने से पहले पुलिस को अत्यधिक सावधानी बरतनी होगी। उन्होंने कहा की धारा 437 के तहत मजिस्ट्रेट के पास यह अधिकार है कि सात साल से कम की अधिक सजा में वह जमानत दे सकता है।उन्होंने कहा कि आपको तथ्यों नियमों के अनुसार आरोपितों को जमानत देने का अधिकार है। हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट आपको प्रोटेक्शन करता है ।जमानत तथ्यों पर आधारित और नियम संगत होना चाहिए । उन्होंने कहा कि मजिस्ट्रेट धारा 41 को ध्यान में रहकर निर्णय ले।इस मौके पर हाईकोर्ट के जस्टिस न्यायमूर्ति अनिल कुमार चौधरी ने कहा कि यदि पुलिस अधिकारी द्वारा की गई गिरफ्तारी संहिता की धारा 41 की आवश्यकताओं को पूरा नहीं करती है तो मजिस्ट्रेट उसकी आगे की हिरासत को अधिकृत नहीं करने और आरोपी को रिहा करने के लिए बाध्य है। जब किसी आरोपी को मजिस्ट्रेट के सामने पेश किया जाता है तो गिरफ्तार करने वाले पुलिस अधिकारी को मजिस्ट्रेट को गिरफ्तारी के लिए तथ्य ,कारण और उसके निष्कर्ष प्रस्तुत करने की आवश्यकता होती है ।साथ ही मजिस्ट्रेट को गिरफ्तारी के लिए पूर्ववर्ती शर्तों से संतुष्ट होना पड़ता है ।धारा 41 के तहत संतुष्ट होने पर ही किसी आरोपी की हिरासत को अधिकृत किया जा सकता है ।उन्होंने कहा की धारा 41 की शर्तें पूरी नहीं होने पर आरोपी को रिहा करें मजिस्ट्रेट ।जब किसी अपराध के आरोपी व्यक्ति को पहली बार मजिस्ट्रेट के सामने पेश किया जाता है तो मजिस्ट्रेट का कर्तव्य हैं कि धारा 41की पूर्व शर्ते यदि पूरी नही होती है तो आरोपी को रिहा करना इसके अलावे मजिस्ट्रेट को स्वतंत्र रुप से कारको का आकलन करना होता हैं न कि पुलिस अधिकारी के दावो पर भरोसा करना होता हैं।इस मौके पर धारा 41 व 41 ए दण्ड प्रक्रिया संहिता के तहत पुलिस के कर्तव्य व जिम्मेदारी यो को विस्तार से बताया गया।माननीय उच्च्तम न्यायालय के जजमेंट सतेंद्र कुमार अंटिल बनाम सी बी आई 2023 व अरनेश कुमार बनाम बिहार राज्य में पुलिस तथा न्यायिक दंडाधिकारी यो को दिये गए दिशा निर्देश को पालन करने पर चर्चा की गई।इस मौके पर ज्यूडिशियल अकादमी के डायरेक्टर सुधांशु कुमार शशि ने कहा कि सात साल से कम सजा वाले केस में पुलिस को यह बताना जरूरी है कि गिरफ्तार करना क्यो जरूरी है।गिरफ्तार करने से क्या परपस सोलभ होगा।उन्होंने कहा कि सभी को लॉ के प्रति कॉन्फिडेंस लाना होगा।उन्होंने कहा कि सात साल वाले केस में 2021 में यह पता चला हैं कि 75 प्रतिशत लोगो को गिरफ्तारी की जरूरत नही थी। परन्तु उन्हें गिरफ्तार किया गया था।इस मौके पर पलामू के प्रधान जिला व सत्र न्यायाधीश ने धन्यवाद ज्ञापन किया। कार्यक्रम का संचालन पलामू ब्यवहार न्यायालय के सिविल जज सीनियर डिवीजन शिखा अग्रवाल ने की।इस मौके पर कुटुम्ब न्यायालय पलामू के प्रधान न्यायाधीश मार्तण्ड प्रताप मिश्रा, डी जे,संतोष कुमार, विनोद कुमार सिंह, अभिमन्यु कुमार, पी एन पाण्डेय,अमरेश कुमार, शंकर महाराज, स्सी जे एम आनंद सिंह, डालसा सचिव अर्पित श्रीवास्तव,बिमलेश सहाय,मनोज त्रिपाठी,संतोष आनंद प्रसाद, संजय सिंह यादव,अरविंद कच्छप, निबन्धक अमित गुप्ता, कुमार विपुल,सन्दीप निशित बारा,निशिकांत,रीतू कुजूर,सतीश कुमार मुंडा, मनोज कुमार, परमानंद उपाध्याय, अमित बंसल,चन्दन कुमार गोस्वामी,प्रतीक राज,एल ए ड़ी सी पलामू के चीफ अमिताभ चन्द सिंह, डिप्टी चीफ संतोष कुमार पांडेय, अधिवक्ता शशि भूषण दुबे,संजय कुमार पांडेय, राजीव रंजन,के अलावे पलामू ,गढ़वा,लातेहार, जिले के लोक अभियोजक, सहायक लोक अभियोजक, पुलिस पदाधिकारी,स्वयं सेवी संस्था से जुड़े लोग,वीएनएस लॉ कॉलेज के छात्र, के अलावे सैकड़ो लोग उपस्थित थे।
[25/02, 4:08 PM] Santosh Panday Advocate: बॉक्स,जमानत व न्याय शास्त्र के प्रमुख मुददे पर चर्चा के दौरान पहली पाली में प्रेम प्रकाश सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता ने रिमांड व जमानत न्याय शास्त्र पर बिस्तार से चर्चा करते हुए कहा कि गिरफ्तारी के पूर्ब पुलिस को 41 के नोटिस का अनुपालन कितना आवश्यक है।वही उन्होंने की इशू ऑफ बेल एंड रिमांड जुरिसपडेन्स इन लेटेस्ट ज्यूडिशियल ट्रेंड्स के बिषय पर विस्तार से प्रकाश डाला।वही दूसरे पाली में एन डी पी एस एक्ट 1985 पर असित कुमार मोदी इंस्पेक्टर इन्वेस्टिगेशन ट्रेनिंग स्कूल रांची के द्वारा एन डी पी एस रूल के बारे में बिस्तार से चर्चा किया।