इन कहानियों में पलामू व झारखंड को व्यापक फलक : डॉ.पंकज शर्मा
नई दिल्ली के विश्व पुस्तक मेले में कहानी-संग्रह ‘घाम’ का लोकार्पण
मेदिनीनगर (पलामू)
प्रसिद्ध आलोचक, जेएनयू के प्राध्यापक प्रो. देवेंद्र चौबे ने कहा है कि श्याम बिहारी श्यामल की कहानियां यथार्थ का इकहरा अंकन नहीं हैं. उनमें वस्तुयथार्थ और भूगोल के साथ ही इतिहास और दर्शन-बोध जिस तरह साथ-साथ अंकित होते चलते हैं, यह साहित्य के वर्तमान फलक पर सबसे अलग है. प्रमुख साहित्यिक पत्रिका ‘पाखी’ के कार्यकारी संपादक व प्रमुख आलोचक पंकज शर्मा ने कहा कि हिंदी साहित्य के व्यापक फलक पर श्यामल की कहानियों के माध्यम से पलामू और झारखंड जिस प्रभावशाली ढंग से अंकित हुआ है, यह उल्लेखनीय है. वे विश्व पुस्तक मेले में गुरुवार की देरशाम राजपाल एंड संज के सुसज्जित सभा-मंच पर श्यामल के सद्यःप्रकाशित कहानी संग्रह ”घाम” का लोकार्पण करने के बाद अपने उद्गार व्यक्त कर रहे थे.

डॉ. शर्मा ने कहा कि श्यामल की कहानियां हिंदी साहित्य के पूरे कथा-फलक पर सबसे अलग हैं जो हर स्तर पर बनी-बनाई धारणाओं की धज्जियां उड़ाती चलती हैं. कैसा भी धुरंधर पाठक श्यामल की किसी भी कहानी को पढ़ते हुए, आगामी किसी घटाना-संदर्भ का ज़रा भी पूर्वाभास नहीं कर सकता. हर अगला क्षण अनपेक्षित चित्र लेकर आता है. और हर क्षण-चित्र जितना दिखाई पड़ता है उससे कई गुणाआधिक सुनाई पड़ता है. इतना ही नहीं, वह कई-कई आयामों में मन पर अपनी गहरी छाप छोड़ जाता है. ‘घाम’ में पलामू की झारखंड-भूमि से लेकर बनारस की धरती तक, पूर्वांचल का जीवन और उसके संघर्ष की कहानियां संकलित हुई हैं.
लोकार्पण और परिचर्चा कार्यक्रम का शुभारंभ राजपाल एंड संज की प्रकाशन-प्रमुख मीरा जौहरी ने श्यामल और उनके नव प्रकाशित संग्रह के परिचय के साथ किया. प्रसिद्ध कथाकार सविता सिंह ने कहानियों का महत्व और उनके सौष्ठव की चर्चा की. उन्होंने लेखक की श्रमसाध्य दिनचर्या का रोचक शब्द-चित्र खींचा. कथाकार आशा प्रभात ने श्यामल को बधाई दी और उनके साहित्य के प्रति अपनी गहरी जिज्ञासा व्यक्त की. इससे पूर्व पलामू की धरती से जुड़े रणविजय सिंह ने अपने बौद्धिक मित्रों के साथ ‘राजपाल’ के स्टॉल पर पहुंच कर ‘घाम’ के लिए रचनाकार श्यामल को बधाई दी और उपेक्षित भूगोल को साहित्य के बड़े फलक चित्रित करने पर अपना आभार जताया.

