भारतेन्दु पर हर पल संसार में कहीं न कहीं सघन चर्चा व नया लेखन : श्यामल

मेदिनीनगर (पलामू)

बनारस लिट फेस्ट 2024 में पलामू के साहित्यकार के दिखे रंग
— ‘ कंथा’ व ‘हिन्देन्दु ‘ के रचनाकार ने दिए पाठकों के प्रश्नों के उत्तर

वाराणसी/डाल्टनगंज : प्रख्यात कथाकार श्याम बिहारी श्यामल ने कहा है कि भारतेन्दु हरिश्चन्द्र संसार के ऐसे लेखकों में हैं, जिन्हें हर क्षण कहीं न कहीं भावपूर्ण ढंग से याद किया जाता है. साहित्य से लेकर शिक्षा जगत तक, उन पर प्रत्येक पल नया सोचा जाता और प्रतिदिन सैकड़ों पृष्ठ लिखे जाते हैं. श्यामल काशी स्थित अंतरराष्ट्रीय कन्वेंशन सेंटर ‘ रुद्राक्ष ‘ में त्रिदिवसीय द्वितीय ‘बनारस लिट ‘ के पहले दिन शनिवार को पाठकों से मुखातिब थे. उन्होंने जयशंकर प्रसाद के जीवन-युग केंद्रित अपने बहुचर्चित उपन्यास ‘ कंथा’ से लेकर आगामी कृति ‘हिन्देन्दु ‘ और अपने समग्र लेखन तक, मॉडरेटर प्रसिद्ध कथाकार सविता सिंह के प्रश्नों के विस्तार से उत्तर दिए. श्यामल पलामू के मूल निवासी हैं और दो दशक से वाराणसी में रहकर लेखन और पत्रकारिता करते हैं. सहउपस्थित भारतेन्दु-कुल की आत्मजा दीपाली अग्रवाल ने भी मॉडरेटर के सवालों के जवाब दिए.
भारतेन्दु और उन पर हो रहे लेखन पर केंद्रित सत्र का विषय-प्रवर्तन करते हुए आरंभ में कार्यक्रम-संयोजक प्रसिद्ध रचनाकार प्रमोद पांडेय ने कहा कि उन्होंने ‘कंथा’ उपन्यास को पढ़ रखा है और हाल ही ‘इंडिया टुडे’ की ‘साहित्य वार्षिकी 2023” में ‘हिन्देन्दु’ का अंश भी पढ़ा है. जब तक संसार में लिखे हुए अक्षर और शब्द बचे रहेंगे, तब तक श्यामल की ये कृतियां विद्यमान और साहित्य जगत का आभूषण बनी रहेंगी.
श्यामल ने बताया कि भारतेन्दु पर हिन्दी जगत में जिस तरह लिखा काफ़ी गया है, उसी तरह आगे और लिखे जाने की संभावना का लगातार विस्तार हो रहा है. वे हिन्दी भाषा, साहित्य व पत्रकारिता के जनक हैं, इसलिए हर पीढ़ी को अपनी भारतेन्दु-कथा रचने का दायित्व निभाना चाहिए. संवाद के दौरान श्यामल ने पाठकों के प्रश्नों के उत्तर दिए. एक पाठक की आशंका का समाधान करते हुए उन्होंने कहा कि नए माध्यमों का आगमन पुराने का समापन कदापि नहीं है. विश्वसनीयता और स्तरीयता बनाए रखी जाए तो प्रासंगिकता समाप्त नहीं होती. इलेक्ट्रॉनिक और सोशल मीडिया के आने के बाद प्रिंट की आवश्यकता, अनिवार्यता और विश्वसनीयता नए सिरे से सिद्ध हुई हैं. उनकी प्रतिष्ठा में वृद्धि हुई है. कार्यक्रम के अंत में विख्यात कला और फिल्म समीक्षक संगम पांडेय ने अंगवस्त्रम और स्मृतिचिह्न प्रदान कर श्यामल व सविता सिंह का सम्मान किया. मॉडरेटर ने दीपाली को स्मृतिचिह्न व अंगवस्त्रम से सम्मानित किया.

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